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Jyeshtha Amavasya 2025: घर में है पितृ दोष तो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन करें ये उपाय, दूर होंगे दोष

ज्येष्ठ अमावस्या, जिसे वट सावित्री अमावस्या या शनि जयंती के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन विशेष रूप से पितृ दोष, कालसर्प दोष और अन्य ज्योतिषीय दोषों को दूर करने के लिए उपाय करने के लिए शुभ माना जाता है। 

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Mukesh Pandit
Jyeshtha Amavasya 2025
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ज्येष्ठ अमावस्या, जिसे वट सावित्री अमावस्या या शनि जयंती के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन विशेष रूप से पितृ दोष, कालसर्प दोष और अन्य ज्योतिषीय दोषों को दूर करने के लिए उपाय करने और पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए उपाय और पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। यहाँ ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपाय, पूजा की विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उपाय और पूजा करने से न केवल ज्योतिषीय दोष दूर होते हैं, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति भी प्राप्त होती है। इस दिन शनि देव, पितरों, और वट सावित्री की पूजा श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। नियमित रूप से मंत्र जाप, दान, और सात्विक जीवनशैली अपनाने से सभी दोष धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।

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ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

  • पितृ दोष निवारण: ज्येष्ठ अमावस्या पितरों की तृप्ति और पितृ दोष के निवारण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • शनि जयंती: यह दिन शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। शनि दोष या साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए इस दिन विशेष पूजा की जाती है।
  • आध्यात्मिक शुद्धि: इस दिन दान, स्नान, और पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
  • ज्योतिषीय प्रभाव: इस दिन किए गए उपाय कालसर्प दोष, ग्रह दोष और अन्य ज्योतिषीय समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उपाय

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पितृ तर्पण और दान

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। किसी पवित्र नदी, तालाब या घर पर तर्पण करें। तर्पण के लिए काले तिल, जौ, और जल का उपयोग करें। पितरों के नाम से गरीबों को भोजन, वस्त्र, या धन दान करें। विशेष रूप से काले तिल, काला कंबल, या जूते-चप्पल दान करना शुभ माना जाता है।

मंत्र: ॐ पितृभ्य: नम:। (तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप करें।)

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शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा करें। शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: का 108 बार जाप करें।
सरसों का तेल, काले तिल, और काला कपड़ा शनि मंदिर में दान करें।
शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें।
उपाय: एक काले कपड़े में काले तिल और कोयला बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें।

वट सावित्री पूजा

सुहागिन महिलाएँ वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करें। वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटें और 7, 11, या 21 परिक्रमा करें।
वृक्ष को जल, रोली, चंदन, और फूल अर्पित करें।

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मंत्र: ॐ सावित्र्यै नम:

शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र (ॐ त्र्यम्बकं यजामहे...) का 108 बार जाप करें।
उपाय: एक जोड़ा सांप (चांदी या तांबे का) बनवाकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें।

गरीबों को भोजन कराएँ, विशेष रूप से खिचड़ी या दाल-चावल।
गाय को हरा चारा या रोटी खिलाए।
हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें।
घर में गंगाजल का छिड़काव करें और दीपक जलाएँ।

ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि

स्नान और तैयारी:

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र पहनें, विशेष रूप से सफेद या काले रंग के।

पूजा स्थान की तैयारी:

घर के पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
चौकी पर लाल या काला कपड़ा बिछाएँ और शनि देव, शिव-पार्वती, या सावित्री-सत्यवान की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।

पूजा सामग्री:

फूल, धूप, दीप, रोली, चंदन, काले तिल, जौ, दूध, जल, मिठाई, और फल।

पूजा प्रक्रिया:

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और संकल्प लें।

शनि देव को तेल और काले तिल अर्पित करें। शनि मंत्र का जाप करें।
पितरों के लिए तर्पण करें और पितृ गायत्री मंत्र (ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणाय धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्) का जाप करें।
वट वृक्ष की पूजा करें और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें।
अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।  hindu festival | hindu | hindu bhagwa | hinduism | hindu god

व्रत और नियम:

व्रत रखने वाले व्यक्ति दिनभर उपवास करें या सात्विक भोजन (फलाहार) लें।
क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचारों से बचें।
कैसे हो जाएंगे सभी दोष दूर?
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उपाय और पूजा करने से निम्नलिखित तरीकों से दोष दूर होते हैं:

पितृ दोष: पितरों की तृप्ति से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है, जिससे पारिवारिक समस्याएँ, आर्थिक तंगी, और स्वास्थ्य समस्याएँ दूर होती हैं।
शनि दोष: शनि देव की पूजा और दान से साढ़ेसाती, ढैय्या, और शनि की महादशा के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
कालसर्प दोष: शिव पूजा और सर्प पूजा से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है, जिससे करियर और वैवाहिक जीवन में बाधाएँ हटती हैं।
नकारात्मक ऊर्जा: दान, स्नान, और मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
वैवाहिक सुख: वट सावित्री व्रत से पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास बढ़ता है।

दान का महत्व: इस दिन दान का विशेष महत्व है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भोजन, कपड़े, या धन दान करें।
मंत्र जाप: मंत्रों का जाप श्रद्धा और एकाग्रता से करें। माला का उपयोग करें और शांत स्थान पर बैठें।
व्रत का पालन: व्रत रखने वाली महिलाएँ दिनभर सात्विक जीवनशैली अपनाएँ।
ज्योतिषीय परामर्श: यदि गंभीर दोष हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेकर विशेष उपाय करें।

डिस्कलेमर : यदि आपको विशिष्ट ज्योतिषीय उपाय या पूजा की विस्तृत जानकारी चाहिए, तो कृपया अपनी कुंडली के आधार पर किसी ज्योतिषी से संपर्क करें।

 

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