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पितृपक्ष में होने के कारणइंदिरा एकादशी को 'श्राद्ध एकादशी' भी कहा जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत को करने से सात पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और व्रत करने वाले को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पद्म पुराण और विष्णु पुराण में इसका वर्णन मिलता है। तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, और इंदिरा एकादशी पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा से धन-धान्य की वृद्धि होती है।
तुलसी की पूजा करने का विधान
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 17 सितंबर बुधवार को किया जाएगा। सूर्योदय के आधार पर व्रत 17 सितंबर को ही रखा जाएगा। व्रत का पारण (समापन) अगले दिन 18 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से 8:34 बजे तक किया जा सकता है। इस दिन गौरी योग और परिघ योग का संयोग भी बन रहा है, जो पूजा को और फलदायी बनाता है।
विष्णु की पूजा से मिलती है प्रभु की कृपा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इंदिरा एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इस दिन तुलसी की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि तुलसी में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। एकादशी का निर्जला व्रत तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए करती हैं। इसलिए एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना और जल देना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि इस गलती को करने से साधक को जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
श्रद्धा एकादशी का व्रत
श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है, तथा पितृ ऋण से मुक्ति होती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल अमिट माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत बैकुंठ धाम की प्राप्ति कराता है। यदि किसी के पिता या पूर्वजों ने एकादशी का व्रत नहीं किया था, तो यह व्रत उनके उद्धार के लिए किया जाता है। इस वर्ष विशेष संयोग है कि इंदिरा एकादशी और एकादशी श्राद्ध एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिससे पितरों का तर्पण स्वयं भगवान विष्णु की कृपा से फलित होता है। व्रत के नियम सख्त हैं। फलाहार या निर्जला व्रत रखा जा सकता है, लेकिन तामसिक भोजन से परहेज करें। पूजा में भगवान विष्णु को शालिग्राम रूप में स्थापित कर चंदन, फूल, धूप-दीप और पंचामृत अर्पित करें।
श्रद्धा एकादशी और तुलसी
तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, और श्रद्धा एकादशी पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा से धन-धान्य की वृद्धि होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि विष्णु पूजा में तुलसी दल अर्पित करना अनिवार्य है, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी पत्र न तोड़ें, बल्कि पहले से चढ़ाए हुए पत्रों का उपयोग करें। इससे पितृ दोष शांत होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
करें ये काम
श्रद्धा एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी की 5 या 7 बार परिक्रमा लगाएं। मंत्रों का जप करें। तुलसी चालीसा का पाठ करें।बह स्नान के बाद तुलसी पौधे को स्नान कराएं, लाल चुनरी, सिंदूर, कुमकुम और फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु को पहले से चढ़े तुलसी पत्र अर्पित करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक तंगी दूर होती है।16 शृंगार का सामान चढ़ाएं और आरती करें। इससे ग्रह दोष, विशेषकर शनि-राहु के प्रभाव कम होते हैं। तुलसी माता से जीवन में सुख-शांति के आगमन के लिए कामना करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को एकादशी के दिन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन में अपार वृद्धि होती है। hindu god | hindu guru | hinduism | Hindu Mythology | Indira Ekadashi 2025