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कैला देवी मंदिर की स्थापना 1100 ईस्वी में, शक्ति पीठों में हैं प्रमुख स्थान

कैला देवी का मंदिर राजस्थान राज्य के करौली जिले में स्थित हैं। मुख्य मंदिर संगमरमर का बना हैं। कैला देवी मंदिर प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल हैं। जहाँ प्रतिवर्ष मार्च -अप्रेल माह में एक बड़ा मैला लगता हैं।

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Ranjana Sharma
Kaila Devi Temple
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कैला देवी का मंदिर राजस्थान राज्य के करौली जिले में स्थित हैं। मुख्य मंदिर संगमरमर का बना हैं। कैला देवी मंदिर प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल हैं। जहाँ प्रतिवर्ष मार्च -अप्रेल माह में एक बड़ा मैला लगता हैं। मां दुर्गा के अनेक अवतार हैं। उन्हीं में से एक रूप है  कैला देवी। वे करौली के प्रसिद्ध व प्राचीन शक्तिपीठ में विराजमान हैं। हर साल इनके मेले में लाखों श्रद्धालु मां के दरबार में शीश झुकाते हैं।यह मंदिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1100 ईस्वी में हुई थी। 

त्रिकुट की पहाड़ियों के बीच मौजूद है मंद‍िर 

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करौली के बाहरी इलाके में लगभग 25 किमी दूरी पर कैला देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है जो कि त्रिकुट की पहाड़ियों के बीच कालीसिल नदी के किनारे पर बना हुआ है। यह मंंदिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है तथा इसकी स्थापना 1100 ईस्वी में की गई थी ऐसी मान्यता है। करौली की कुलदेवी कैला देवी हैं। कैला देवी को यदुवंशी राजपूतों की कुलदेवी माना जाता है। करौली के कैलादेवी मंदिर में देश भर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। राजस्‍थान के अलावा यहां देशभर से लोग आते हैं। 

हर साल लगता है मेला 

कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर संगमरमर से बना हुआ है और यह मां दुर्गा के एक रूप, कैला देवी को समर्पित है। कैला देवी मंदिर हर साल मार्च-अप्रैल माह में एक विशाल मेला आयोजित करता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु उपस्थित होते हैं और मां के दरबार में शीश झुकाते हैं। यह मंदिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पूज्य है।  कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना के समय से ही यदुवंशी राजपूतों के वंशज इसे अपनी कुल देवी मानते आए हैं। साथ ही करौली जिले के लोग भी इसे अपनी कुल देवी मानते हैं और यहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं।
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इस राजपरिवार ने बनवाया मंदिर

मं‍दि‍र के पुजार‍ियों ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण भरतपुर के पूर्व राजपरिवार ने करवाया था। इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित किया, जिससे यह स्थल न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया। भरतपुर जिले में स्थित इस मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह भरतपुर शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर बयाना रोड पर स्थित है और यहां निजी व सार्वजनिक परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध है।
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