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कजरी तीज: अखंड सौभाग्य व पति की दीर्घायु के लिए पत्नी करतीं निर्जल व्रत, भगवान शिव को प्रिय

भाद्रपद में रक्षाबंधन के 3 दिन बाद तथा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले कृष्णा तृतीया को कजरी तीज त्यौहार मनाया जाता है। इस कजरी तीज त्यौहार को बड़ी तीज, सातुड़ी तीज, बूढ़ी तीज एवं कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है।

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Mukesh Pandit
kajari teej
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सावन तथा भादों मासमें मनाई जाने वाली तीन मुख्य तीज हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज महिलाओं में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। भाद्रपद में रक्षाबंधन के 3 दिन बाद तथा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले कृष्णा तृतीया को कजरी तीज त्यौहार मनाया जाता है। इस कजरी तीज त्यौहार को बड़ी तीज, सातुड़ी तीज, बूढ़ी तीज एवं कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह इस मायने में एक कठिन त्योहार है कि व्रत रखने वाला दिन भर के उपवास के दौरान पानी भी नहीं पीता है। यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष  कजरी तीज 12 अगस्त को मनाई जाएगी।

कजरी तीज का महत्व

कजरी तीज का पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा और योग्य वर पाने की कामना से यह व्रत करती हैं। इस व्रत को करवा चौथ की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

माता पार्वती ने की थी कठोर तपस्या

इस पर्व का महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तपस्या की थी। उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। यह दिन शिव-पार्वती के इसी अटूट प्रेम और मिलन का प्रतीक है। इसलिए इस दिन शिव-पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा 

कजरी तीज के दिन महिलाएं सोलह शृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन झूला झूलने और लोकगीत गाने की भी परंपरा है। यह त्योहार महिलाओं के सम्मान और स्त्रीत्व का उत्सव है, जो वैवाहिक जीवन में प्रेम और समर्पण को बढ़ाता है।

हरियाली और खुशहाली का वातावरण

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यह पर्व मानसून के आगमन का भी प्रतीक है। तीज के समय हरियाली और खुशहाली का वातावरण होता है, जो इस पर्व की खुशी को और बढ़ा देता है। इस दिन नीम के पेड़ की भी पूजा की जाती है। इस प्रकार, कजरी तीज का पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और प्रकृति के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है। यह विवाहित महिलाओं के लिए अपने पति के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का एक विशेष अवसर है और कुंवारी कन्याओं के लिए एक सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करने का अवसर है। Kajari Teej 2025 | Kajari Teej significance | Lord Shiva festival | hindu god | Hindu festivals | Hindu Mythology 

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