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Kalashtami Puja 2025: कालभैरव की आराधना से पाएं सुख और समृद्धि। जानें तिथि और पूजा विधि!

यह दिन भगवान काल भैरव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। काल भैरव को काल का देवता भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से काल भय दूर होता है। 

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Mukesh Pandit
Kalashtami Puja 2025

हिंदू धर्म में कालाष्टमी,एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जो हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कालाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के अंश से उत्पन्न हुए भगवान काल भैरव की आराधना और उनका व्रत करना बहुत लाभदायक माना जाता है। भक्तगण कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। आश्विन माह की कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ेगी। जो 14 सितम्बर दिन रविवार है। अष्टमी तिथि 14 सितम्बर 2025 को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर प्रारम्भ होगी।

कालाष्टमी पर किसकी पूजा होती है?

यह दिन भगवान काल भैरव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। काल भैरव को काल का देवता भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से काल भय दूर होता है और दीर्घायु का वरदान मिलता है। ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन की गई पूजा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। कालाष्टमी के दिन शिव की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख प्राप्त होता है।

कालाष्टमी महत्व

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। शिव को काल का देवता भी माना जाता है, इसलिए इस दिन कालाष्टमी का नाम पड़ा है। इस दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इस दिन सच्चे मन से पूजा पाठ करने से रोगों से भी छुटकारा मिलता है और परिवार के समस्त जन भी स्वस्थ और सुखी जीवन जीते हैं। भगवान काल भैरव में शिवजी का रौद्र भाव समाया हुआ है, और ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए यह रौद्र अवतार धारण किया था। भगवान काल भैरव सभी नकारात्मकता और बुरी शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

कुत्तों को खाना खिलाने की भी प्रथा 

कालाष्टमी पर कुत्तों को खाना खिलाने की भी प्रथा है क्योंकि काले कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना जाता है और इसीलिये इन्हें भोजन देना काफी शुभ माना जाता है। कुत्तों को इस शुभ दिन पर दूध या दही खिलाया जा सकता है। कालाष्टमी की शुभ तिथि पर काशी जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर ब्राह्मणों को भोजन खिलाना भी बेहद शुभ व अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजन और व्रत करने वाले जातकों पर तंत्र-मंत्र का असर भी नहीं होता।

कैसे करें कालाष्टमी की पूजा?

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कालाष्टमी के शुभ दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन उपासक प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करें और भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पूजा के समय भगवान काल भैरव का स्मरण करते हुए, श्री कालभैरवाष्टकम् का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है, इससे भगवान की कृपा आप पर बनी रहती है। इसके बाद भगवान को धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों का तेल अर्पित करें।

कालाष्टमी की पूजा सामग्री

काल भैरव की मूर्ति या चित्र. पूजा के लिए भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र का होना आवश्यक है। पूजा में कलश स्थापित किया जाता है। कलश को पवित्र करने के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र पर चंदन लगाया जाता है। चावल के दाने, भगवान को अर्पित करने के लिए ताजे फूल। पूजा के दौरान धूप जलाया जाता है। दीपक जलाकर भगवान का स्वागत किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के लिए नैवेद्य तैयार किया जाता है। विभिन्न प्रकार के फल,बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय होते हैं। दूध से अभिषेक किया जाता है। काला रंग भगवान काल भैरव से जुड़ा हुआ है।

  • सरसों का तेल : दीपक में सरसों का तेल जलाया जाता है।
  • मिट्टी का दीपक : मिट्टी का दीपक शुभ माना जाता है।
  • सिंदूर : सिंदूर से भगवान का तिलक लगाया जाता है।
  • कुंकुमा : कुंकुमा से स्वस्तिक बनाया जाता है।
  • जनेऊ : ब्राह्मणों द्वारा जनेऊ धारण किया जाता है।
  • रुद्राक्ष की माला : मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जाता है। : Kalashtami Puja 2025 | hindu | hindu guru | hindu god | hinduism

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