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जानिए रमज़ान में रोज़े रखकर नमाज़ छोड़ देने पर क्या है नुकसान

इस्लाम धर्म का पाक और मुकद्दस महीना रमज़ान अब अपने अगले पड़ाव में पहुंच गया है। पूरी दुनिया में इस बीच मुसलमान बड़ी संख्या में रोज़े, नमाज़ और तरावीह अदा कर रहे है।

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Mohd. Arslan
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रमज़ान की प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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मुसलमानों का पाक और मुकद्दस महीना रमज़ान अपने दूसरे पड़ाव में पहुंच गया है। दो मार्च से शुरू हुए भारत में रोज़े इस माह के अंत तक जारी रहेंगे। हालांकि रमज़ान का महीना सिर्फ रोज़ा रखने तक ही सीमित नहीं है। इस महीने में हर मुसलमान को ज़्यादा से ज्यादा नेक काम, दूसरों की मदद और अल्लाह की इबादत भी करनी होती है।

रमज़ान हेल्पलाइन पर सवाल पूछ रहे मुसलमान

लखनऊ स्तिथ इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया अपनी रमज़ान हेल्पलाइन के जरिए आम मुसलमानों की रहनुमाई कर उनको दीन और शरीयत के अमल बता रहा है। पूरे देश और दुनिया से लोग अलग अलग मध्यम से इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर सही जानकारी हासिल कर रहे है।

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साल 2001 से हुई शुरुआत

रमजान हेल्पलाइन देश में इस प्रकार की पहली हेल्पलाइन है। इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया के तहत् दारूल निजामिया फरंगी महल में रोजेदारों की दीनी और शरअई रहनुमाई के लिए वर्ष 2001 में रमजान हेल्पलाइन आरम्भ किया गया था जिसकी लोकप्रियता खुदा पाक के करम से आज भी बरकरार है। 

इन नंबरों पर करना होगा संपर्क

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इस हेल्प लाइन से लोग फोन और e-mail के जरिए रोजा, नमाज, जकात ऐतिकाफ और दूसरे सवालात मुल्क और बाहर के मुल्कों से भी करते है। इन सवालात के जवाब मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अध्यक्षता में उलमा का एक पैनल देता है, लोग इन नम्बरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और e-mail: [email protected] और वेब साइट, www.farangimahal.in पर सवाल पूछ सकते है। 

जानिए कुछ सवालों के उलमा से जवाब

सवाल : एक शख्स ने किसी के पास कुछ रकम अमानत के तौर पर रखी उसी बीच में वह शख्स बाहर चला गया, फिर वह शख्स कहता है कि जो रकम मैंने तुम्हारे पास रखी है उसमें से जकात अदा कर दो तो क्या इस तरह से जकात अदा हो जायेगी?

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जवाब : जी हाँ! जकात अदा हो जायेगी।

 

सवाल : किसी शख्स का हादसे में इंतिकाल हो गया। सरकार या कम्पनी ने मुआवजे के तौर पर उसके वालिदैन व बेवा और नाबालिग बच्चे को रकम दी तो क्या इन बच्चों और बेवा की रकम पर जकात वाजिब है या नहीं?

जवाब :  बेवा और वालिदैन के हिस्से में जो रकम आई है अगर साल गुजर गया तो वाजिब है और बच्चे जब तक नाबिलग हैं उनके हिस्से पर जकात नही है।

 

सवाल : एक शख्स रमजानुल मुबारक में रोजे तो रखता है लेकिन नमाज नही पढ़ता है, इसका क्या हुक्म है?

जवाब :  रोजा हो जायेगा। नमाज छोड़ने का गुनाह होगा। नमाज की कज़ा उसके जिम्मे फर्ज है।

 

सवाल : लोग कहते हैं कि पूरे महीने के रोजे का फिद्या एक साथ अदा नही किया जा सकता, क्या यह सही है?

 

जवाब : ऐसा नही है बल्कि अलग अलग रोजों का फिद्या भी दे सकते हैं और एक साथ भी।

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