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सोमवार का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह व्रत न केवल भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। सोमवार व्रत की कथा सुनना और इसका पालन करना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम माना जाता है।
सोमवार व्रत कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और निस्वार्थ कर्म से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह व्रत न केवल मनोकामनाओं को पूरा करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और शांति भी लाता है। प्रत्येक सोमवार को इस कथा को पढ़ने या सुनने से भक्तों का विश्वास और भी दृढ़ होता है।
सोमवार व्रत कथा
प्राचीन काल में एक छोटे से गांव में एक गरीब ब्राह्मण दंपति रहता था। उनके पास धन-धान्य की कमी थी, लेकिन वे दोनों भगवान शिव के परम भक्त थे। ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ हर सोमवार को शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करता और व्रत रखता। उनकी भक्ति इतनी गहरी थी कि वे हर परिस्थिति में भगवान शिव का स्मरण करते।
एक दिन, ब्राह्मण की पत्नी ने देखा कि उनके घर में अनाज का एक दाना भी नहीं बचा था। उसने अपने पति से कहा, "हमारी स्थिति बहुत दयनीय है। क्या भगवान शिव हमारी पुकार नहीं सुनते?" ब्राह्मण ने पत्नी को समझाया, "हमें भगवान शिव पर भरोसा रखना चाहिए। वे भक्तों के कष्ट अवश्य दूर करते हैं।" यह कहकर उसने अगले सोमवार का व्रत और भी श्रद्धा के साथ रखने का संकल्प लिया।
अगले सोमवार को ब्राह्मण सुबह जल्दी उठा, स्नान किया और मंदिर जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसने माता पार्वती और नंदी की भी पूजा की। पूजा के बाद वह भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा, "हे महादेव, मेरे परिवार पर कृपा करें। हमें इस गरीबी से मुक्ति दिलाएं।" उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसकी पुकार सुन ली।
उसी रात ब्राह्मण को स्वप्न में भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन हुए। भगवान शिव ने कहा, "हे भक्त, तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हें एक अमूल्य रत्न प्रदान करता हूँ, जिससे तुम्हारी गरीबी दूर होगी। लेकिन इसे संभालकर रखना और इसका उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करना।" सुबह जब ब्राह्मण की आँख खुली, तो उसने अपने तकिए के नीचे एक चमकता हुआ रत्न पाया। वह आश्चर्यचकित हो गया और उसने तुरंत माता पार्वती और भगवान शिव को धन्यवाद दिया।
ब्राह्मण ने उस रत्न को बेचकर धन प्राप्त किया और अपने परिवार की जरूरतें पूरी कीं। लेकिन उसने शिव के आदेश का पालन करते हुए उस धन का उपयोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए भी किया। उसने गाँव में एक शिव मंदिर बनवाया और वहाँ हर सोमवार को भंडारा शुरू किया। इससे गाँव के लोगों को भोजन और आश्रय मिलने लगा। ब्राह्मण का परिवार अब सुख और समृद्धि से भर गया।
इस कथा का संदेश यह है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति करता है, उसे उनकी कृपा अवश्य प्राप्त होती है। सोमवार का व्रत न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
सोमवार व्रत का महत्व
सोमवार व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन भक्त सुबह स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर शिव मंदिर जाते हैं। वहाँ शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और फूल अर्पित करते हैं। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। यह व्रत सावन के महीने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
सोमवार व्रत की पूजा विधि
प्रातःकाल तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (प्राथमिक रूप से सफेद या हल्के रंग के) धारण करें।
घर के पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और नंदी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
व्रत संकल्प: पूजा स्थल पर बैठकर हाथ में जल, फूल और चावल लेकर व्रत का संकल्प करें।
संकल्प मंत्र:
ॐ नमः शिवाय, मैं (अपना नाम) आज सोमवार व्रत का पालन करने और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने का संकल्प लेता/लेती हूँ। मेरी मनोकामना पूर्ण हो और मेरे परिवार को सुख-शांति प्राप्त हो।
पूजा सामग्री:
शिवलिंग, बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, घी, शहद, चीनी, जल, फूल, जनेऊ, चंदन, अक्षत (चावल), रोली, मौली, अगरबत्ती, दीपक, फल और मिठाई।
पूजा विधि और तैयारियां: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उन्हें दीप, धूप और फूल अर्पित करें। मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः।
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी (पंचामृत) से अभिषेक करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और फूल अर्पित करें। बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग की ओर रखें।
चंदन और रोली से तिलक करें, जनेऊ चढ़ाएं और मौली बांधें।
दीपक और अगरबत्ती जलाएं, मिठाई और फल का भोग लगाएं।
शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र या रुद्राष्टक का पाठ करें।
अंत में शिव-पार्वती की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
व्रत नियम:
दिन में एक समय सात्विक भोजन (बिना लहसुन-प्याज) करें या फलाहार करें।
क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें।
दिनभर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
सूर्यास्त के बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग के दर्शन करें और जल चढ़ाएं।
व्रत समापन:
शाम को पुनः पूजा करें और भगवान शिव से व्रत की सफलता के लिए प्रार्थना करें।
प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में बांटें।
महत्वपूर्ण मंत्र
पंचाक्षर मंत्र:
ॐ नमः शिवाय
यह भगवान शिव का मूल मंत्र है, जिसका जाप 108 बार करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह मंत्र स्वास्थ्य, दीर्घायु और कष्टों से मुक्ति के लिए जपें।शिव गायत्री मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
यह मंत्र बुद्धि और शक्ति के लिए जपें।
पार्वती मंत्र:
ॐ उमायै नमः
माता पार्वती की कृपा के लिए इस मंत्र का जाप करें।
रुद्र मंत्र:
ॐ नमो भगवते रुद्राय
यह मंत्र शिव के रुद्र स्वरूप की पूजा के लिए प्रभावी है।
विशेष टिप्स
सावन मास में सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। इस दौरान 16 सोमवार व्रत करने से विशेष फल मिलता है।
महिलाएं वैवाहिक सुख और संतान प्राप्ति के लिए, पुरुष नौकरी और समृद्धि के लिए यह व्रत करते हैं।
पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें।
बेलपत्र को तीन पत्तियों वाला और बिना कटा-फटा चुनें।