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शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जो उनके पंचाक्षर मंत्र "नमः शिवाय" पर आधारित है। यह स्तोत्र आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है और इसमें पांच छंद हैं, जो शिव के पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) का प्रतीक हैं। यह स्तोत्र भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और भौतिक सुख प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन है। सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस दिन जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है। hindu religion | hindi religious festion | हिंदू धार्मिक अनुष्ठान
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् की विधि
(शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् का जाप करने के लिए शुद्धता, श्रद्धा, और समर्पण की आवश्यकता होती है। )
शारीरिक और मानसिक शुद्धता: जाप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत करने के लिए कुछ मिनट ध्यान करें। पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक शांत वातावरण बनाएं।
पूजा की तैयारी: एक छोटा सा शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति/चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं, धूपबत्ती प्रज्वलित करें, और फूल, बिल्वपत्र, और जल अर्पित करें। यदि संभव हो, तो शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, और गंगाजल से अभिषेक करें।
संकल्प: जाप शुरू करने से पहले संकल्प लें। अपने उद्देश्य (जैसे स्वास्थ्य, शांति, या आध्यात्मिक उन्नति) को मन में दोहराएं और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।
स्तोत्र का पाठ: शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् का पाठ स्पष्ट उच्चारण के साथ करें। प्रत्येक छंद को ध्यानपूर्वक पढ़ें, और "नमः शिवाय" मंत्र का जाप प्रत्येक छंद के बाद करें। यदि समय सीमित हो, तो केवल "नमः शिवाय" मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
जाप की संख्या: सामान्यतः 108 बार मंत्र जाप करने की सलाह दी जाती है। रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें, क्योंकि यह शिव को अत्यंत प्रिय है। गिनती के लिए माला की प्रत्येक मनका को अंगूठे और मध्यमा उंगली से स्पर्श करें।
समापन: जाप पूर्ण होने पर शिव को प्रणाम करें और आरती करें। प्रसाद (जैसे फल या मिठाई) अर्पित करें और उसे ग्रहण करें। अंत में, अपनी इच्छाओं के लिए प्रार्थना करें और शिव का ध्यान करें।
मंत्र जाप का उचित समय
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कुछ विशेष समय और अवसर इसे और प्रभावी बनाते हैं:
प्रभात और संध्या: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4:00-6:00 बजे) और सूर्यास्त के समय जाप करना सबसे शुभ माना जाता है। ये समय मन की एकाग्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए उपयुक्त होते हैं।
सोमवार: सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस दिन जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
शिवरात्रि: मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन स्तोत्र का पाठ और मंत्र जाप अत्यंत पुण्यकारी होता है।
श्रावण मास: श्रावण मास में शिव भक्ति की विशेष महिमा है। इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विशेष अवसर: किसी संकट, बीमारी, या महत्वपूर्ण कार्य से पहले जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् के लाभ
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् और "नमः शिवाय" मंत्र का जाप अनेक आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक लाभ प्रदान करता है:
आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र भक्त को भगवान शिव के करीब लाता है और आत्मा को शुद्ध करता है। "नमः शिवाय" मंत्र पांच तत्वों का प्रतीक है, जो शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित करता है। यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
मानसिक शांति: मंत्र जाप से मन की चंचलता कम होती है और तनाव, चिंता, और अवसाद से राहत मिलती है। यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है, जिससे मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है।
स्वास्थ्य लाभ: शिव पंचाक्षर मंत्र का नियमित जाप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है, तनाव हार्मोन को कम करता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
संकट निवारण: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा, भय, और बाधाओं को दूर करता है। भक्तों का मानना है कि यह दुर्घटनाओं, शत्रुओं, और अज्ञात भय से रक्षा करता है।
मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा और निष्ठा के साथ जाप करने से भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यह करियर, धन, और पारिवारिक सुख में वृद्धि करता है।
कर्मों का शुद्धिकरण: यह स्तोत्र पिछले कर्मों के दुष्प्रभाव को कम करता है और सकारात्मक कर्मों को प्रोत्साहित करता है। यह भक्त को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
परिवार में सौहार्द: घर में नियमित रूप से स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है। यह वैवाहिक जीवन में समस्याओं को कम करता है और प्रेम को बढ़ावा देता है।
जाप के दौरान मन को शुद्ध और एकाग्र रखें। नकारात्मक विचारों से बचें। मंत्र का उच्चारण सही और स्पष्ट होना चाहिए। गलत उच्चारण से लाभ कम हो सकता है। माला को जमीन पर न रखें और उसे पवित्र स्थान पर संभालें। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जाप से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि यह व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर करता है।
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते
हिन्दी अनुवाद:
जिनके कण्ठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है और दिशाएँ ही जिनका वस्त्र हैं अर्थात् जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर न कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥1॥
गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भलिभाँति पूजा हुई है। नन्दी के अधिपति, शिवगणों के स्वामी महेश्वर म कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥2॥
जो कल्याणस्वरूप हैं, पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए जो सूर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, ऐसे नीलकण्ठ शि कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥3॥
वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि और गौतम ऋषि तथा इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे व कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥4॥
जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक* है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, ऐसे दिगम्बर देव य कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥5॥ जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी के साथ आनन्दित होता है।