Advertisment

रमज़ान हेल्पलाइन पर मुसलमान जान रहे दीन और शरीयत से जुड़े जवाब

शिया और सुन्नी धर्म गुरु मुसलमानों को रमज़ान हेल्पलाइन के ज़रिए उनके सवालों के जवाब दे रहे है। फोन और व्हाट्सएप के साथ ही ईमेल और वेबसाइट पर जाकर भी लोग अपने सवाल पूछ सकते है।

author-image
Mohd. Arslan
रमजान की प्रतीकात्मक तस्वीर

रमजान की प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

Advertisment

रमज़ान का पाक महीना शुरू होते ही करोड़ों मुसलमान रोज़ा रखकर अल्लाह की इबादत में लग जाते है। इस दौरान उनको कई परहेज़ भी करने होते है जिससे उनका रोज़ा टूट या मकरू न हो जाए। ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरुओं के पैनल हेल्पलाइन के ज़रिए लोगों के सवालों के जवाब दे रहे है। लखनऊ में शिया हेल्पलाइन पर मौलाना सैफ अब्बास और इस्लामिक सेंटर की हेल्पलाइन पर वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली की अध्यक्षता में जवाब दिए जा रहे है। 

 

मौलाना ने कहा कि इस्लामिक सेंटर की रमजान हेल्पलाइन देश में इस किस्म की पहली हेल्पलाइन है। इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया के तहत् दारूल निजामिया फरंगी महल में रोजेदारों की दीनी और शरअई रहनुमाई के लिए वर्ष 2001 में रमजान हेल्पलाइन बनाई गयी थी जिसकी मकबूलियत खुदा पाक के करम से आज भी बरकरार है। इस हेल्प लाइन से लोग फोन और e-mail के जरिए रोजा, नमाज, जकात ऐतिकाफ और दूसरे सवालात मुल्क और बाहर के मुल्कों से भी करते है। इन सवालात के जवाब मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अध्यक्षता में उलमा का एक पैनल देता है, लोग इन नम्बरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और e-mail: [email protected] और वेब साइट, www.farangimahal.in पर सवाल पूछ सकते है।

Advertisment

रमज़ान हेल्पलाइन पर पूछे गए सवाल और उनके जवाब

सवाल: 1 रोजे की नियत कब तक कर सकते हैं?

जवाब: 1 जवाल के वक्त तक नियत कर सकते है।

Advertisment

 

सवाल 2 रोजे की हालत में अगर किसी के मुँह से खून आ जाए तो रोजे का क्या हुक्म है?

जवाब : 2 अगर खून हलक के अंदर नहीं जाता है तो रोजे पर कोई असर नही होगा।

Advertisment

 

सवाल 3 वह कौनसी बातें हैं जिनसे रोजा मकरूह हो जाता है? और क्या है?

जवाब: 3 बिला जरूरत व मजबूसी किसी चीज का चबाना, थूक जान बूझ कर इकट्ठा करके निगल लेना, कोयला वगैरा से दाँत माँजना, गाने बजाने में लगे रहना, यह वह बातें हैं जिनसे रोजा मकरूह हो जाता है। इन सब चीजों से बचना चाहिए।

 

सवाल 4 क्या कोयला चबा कर दाँत माझने से रोजा टूट जाता है?

जवाब: 4 नहीं टूटता है। ऐसा करना मकरूह है।

 

सवाल 5 अगर इमाम ने तरावीह में सिज्दा तिलावत का सिज्दा नही किया फिर नमाज के बाद लोगों ने बताया कि सिज्दा तिलावत नही किया, तो क्या इस की तलाफी (बदला) मुम्किन है?

जवाब : 5 अब इस सिज्दे की तलाफी नही हो सकती, तरावीह की नमाज अदा हो जायेगी।

Advertisment
Advertisment