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Narak Chaturdashi: नरक चतुदर्शी पर घरों में चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा का जानें क्या है महत्व

दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होगी। इस उत्सव की शृंखला का दूसरा दिन है नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीपावली के रूप में जाना जाता है। इस बार 19 अक्टूबर रविवार को है। इस दिन घरों में चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है।

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Mukesh Pandit
Narak Chaturdashi 2025

दीपावली के पांच दिवसीय उत्सवकी शुरुआत धनतेरस से होगी। इस उत्सव की शृंखला का दूसरा दिन है नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीपावली के रूप में जाना जाता है। इस बार 19 अक्टूबर रविवार को है। इस दिन घरों में चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी पर चौमुखी दीपक जलाने की प्रथा का क्या महत्व है और इसके पीछे की पौराणिक कथाएं और मान्यताएं क्या हैं? आइए, जानें इस पर्व के महत्व और चौमुखी दीपक की परंपरा। 

नरक चतुर्दशी का महत्व

नरक चतुर्दशी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और नरकासुर की कथा से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नरकासुर एक क्रूर राक्षस था, जिसने अपनी शक्ति के बल पर 16,000 महिलाओं को बंदी बना लिया था और देवताओं व मनुष्यों को त्रस्त कर रखा था। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को नरकासुर का वध किया और बंदी बनाई गई महिलाओं को मुक्त कराया। इस विजय का उत्सव नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन को यमराज से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यास्त के बाद यमराज के नाम पर दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और परिवार के सदस्यों की आयु में वृद्धि होती है। इसे यम दीपम या यम चतुर्दशी भी कहा जाता है।

चौमुखी दीपक की परंपरा

नरक चतुर्दशी की सांझ  घर के मुख्य द्वार पर चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। चौमुखी दीपक एक ऐसा दीपक होता है, जिसमें चार दिशाओं में चार बातियां होती हैं। यह दीपक मिट्टी, पीतल या अन्य धातुओं से बनाया जाता है और इसे तेल या घी से भरा जाता है। प्रत्येक बत्ती को चार दिशाओं- पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की ओर प्रज्वलित किया जाता है। 

चौमुखी दीपक जलाने का महत्व

चौमुखी दीपक चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करने का प्रतीक है। मान्यता है कि यह दीपक घर को अंधकार और अशुभ शक्तियों से बचाता है। यमराज को दक्षिण दिशा का स्वामी माना जाता है। इस दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर यमराज की पूजा की जाती है, ताकि परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से बचाया जा सके। चौमुखी दीपक का एक मुख विशेष रूप से यमराज को समर्पित होता है। दीपक का प्रकाश अज्ञानता के अंधेरे को दूर करता है और ज्ञान, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। चौमुखी दीपक जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

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इस दिन स्नान और दीपदान की परंपरा भी है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल और उबटन से स्नान करने और फिर चौमुखी दीपक जलाने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। यह परंपरा व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करती है।

नरक चतुर्दशी पर पूजा

नरक चतुर्दशी के दिन लोग प्रातःकाल जल्दी उठकर तेल, उबटन और औषधीय जड़ी-बूटियों से स्नान करते हैं। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी, भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा की जाती है। सूर्यास्त के बाद चौमुखी दीपक को घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। कई जगहों पर इसे घर के आंगन या छत पर भी जलाया जाता है। दीपक जलाने के साथ-साथ लोग यमराज से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को दीर्घायु और सुख-समृद्धि प्राप्त हो।   Narak Chaturdashi 2025 | bhagwa Hindutva | hindu | Hindu festivals | hindu festival

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