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Parivartini Ekadashi 2025: इस दिन व्रत करने से मिलता है तीनों लोकों की पूजा का फल, जानें पूजा विधि

इस दिन को केवल व्रत तक सीमित न करके, यदि आप भगवान विष्णु का कोई विशेष स्तोत्र जपते हैं, तो भक्तिभाव में और विस्तार आता है। माना जाता है कि इस शक्तिशाली स्तोत्र के पाठ से श्रीहरि अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

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Mukesh Pandit
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Parivartini  Ekadashi
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सितंबर माह आने वालीप्रमुख तिथियों में से एक है परिवर्तिनी एकादशी एक ऐसा पावन दिन जब भक्त विशेष व्रत-पूजा से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन चंद्रमा की स्थिति और योगिक संकेत बताते हैं कि भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में दिशा बदलते हैं, जिसके कारण इसे ‘परिवर्तन’ यानी परिवर्तनकारी एकादशी भी कहा जाता है। लेकिन इस दिन को केवल व्रत तक सीमित न करके, यदि आप भगवान विष्णु का कोई विशेष स्तोत्र जपते हैं, तो भक्तिभाव में और विस्तार आता है। माना जाता है कि इस शक्तिशाली स्तोत्र के पाठ से श्रीहरि अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

जलझूलनी एकदशी भी कहा जाता है

इस एकादशी तिथि को डोल ग्यारस, जलझूलनी एकादशी जैसे कई नामों से जाना जाता है। माना जाता है कि इस एक दिन का व्रत करने से तीनों लोकों की पूजा का फल मिल जाता है। इस साल ये व्रत 3 सितंबर के दिन रखा जाएगा और इस दिन तीन शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है।  यह एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल ये व्रत 3 सितंबर, 2025 को बुधवार के दिन किया जाएगा।

इस वर्ष दुलर्भ है परिवर्तनी एकादशी

लोकमान्यता है कि, इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हुए करवट बदलते हैं। इस बार की परिवर्तनी एकादशी तिथि दुर्लभ मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत का पारण 4 सितंबर को दोपहर में 1.36 बजे से शाम 4.07 बजे के बीच कर सकते हैं। इस दिन पूर्वाषाढ़ नक्षत्र सुबह से लेकर रात 11.08 बजे तक है। उसके बाद से उत्तराषाढा नक्षत्र लगेगा। आइए जानें इस व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और सही तारीख।

परिवर्तनी एकादशी तारीख

पंचांग के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरूआत 3 सितंबर बुधवार को सुबह 3.53 बजे होगी। यह 4 सितंबर गुरुवार को सुबह 4.21 बजे तक मान्य रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर परिवर्तिनी एकादशी का व्रत और पूजा 3 सितंबर बुधवार को की जाएगी।

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शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04.30 बजे से 05.15 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त : सुबह 06.00 बजे से 07.35 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त : सुबह 07.35 बजे से 09.10 बजे तक
इस समय न करें पूजा

भद्रा काल : परिवर्तिनी एकादशी के दिन भद्रा का वास पाताल लोक में है। परिवर्तिनी एकादशी पर भद्रा का प्रारंभ शाम को 4.12 बजे से हो रहा है। यह अगले दिन 4 सितंबर को सुबह 4.21 बजे तक है।राहु काल : परिवर्तिनी एकादशी पर राहुकाल दोपहर में 12.20 बजे से शुरू होगा, जो दोपहर में 01.55 मिनट तक है।

3 योगों का शुभ समय

आयुष्मान योग : सुबह से लेकर शाम 4.17 बजे तक है
सौभाग्य योग : शाम 4.17 बजे के बाद से पूरी रात रहेगा
रवि योग : सुबह 06:00 बजे से रात 11.08 बजे तक रहेगा

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