कानपुर, महेश सोनकर
कानपुर में भी रामनवमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। शहर में रामनवमी पर रावतपुर स्थित रामलला मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकलती आ रही है, इस बार भी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शाम करीब पांच बजे धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाएगी। अयोध्या और ओरछा के बाद कानपुर में रामलला का मंदिर प्रसिद्ध है और करीब दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर का इतिहास है।
रामनवमी पर निकाली जाती शोभायात्रा
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार रामनवमी के दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यता के अनुसार श्रीराम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर पर चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। यूपी में श्रीराम के तीन मंदिरों में अयोध्या, ओरछा के बाद कानपुर के रावतपुर स्थित तीसरा रामजी का बड़ा रामलला मंदिर की है। यह मंदिर सवा दो सौ सालों से हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर का भव्य स्वरूप अयोध्या की याद दिलाता है। रामनवमी पर मंदिर से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं
शोभायात्रा में निकलती मनमोहक झांकियां
शोभायात्रा पूरे रावतपुर सहित कल्याणपुर, पनकी, शास्त्री नगर गंगागंज,काकादेव सहित कई क्षेत्रों से लोग शोभा यात्रा निकल कर रामलला मंदिर पहुंचती है। यहां से प्रशासन की कड़ी निगरानी में शोभा यात्रा तय रूट से क्षेत्र में लोगों के दर्शन के लिए घुमाई जाती है। छोटे छोटे बच्चे रामजी, सीता माता, लक्ष्मण भरत शत्रुघन हनुमान, कृष्ण राधा सहित देश के राजा महाराजों, वीरों, क्रांतिकारियों की भेषभूषा में सज कर झाकियों में सम्मिलित होते हैं। जगह जगह भक्त शोभायात्रा की आरती उतारकर पूजा अर्चना करते हैं। शोभायात्रा के दौरान मार्ग पर भक्त पानी, शरबत, और प्रसाद वितरण करते हैं।
पूरा क्षेत्र रहता जगमग, ब्रह्मनाद से बढ़ती शोभा
रामनवमी के त्योहार की तैयारी रावतपुर क्षेत्र में कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। चौराहों चौराहों पर सुंदर आकृति के द्वार बनाए जाते है। सैकड़ों पर झालर सुंदर लाइटिंग की जाती है जिससे पूरा क्षेत्र जगमग हो जाता है। राम जानकी सेवा समिति के भक्त ब्रह्मनाद की टोली के साथ शोभायात्रा में शामिल होते हैं। जो शंख, ढोल नगाड़े के साथ कदम ताल करते हुए दिखाई देते हैं, जिससे शोभायात्रा और शोभायमान होती है।
मंदिर और शोभायात्रा का है अलग है इतिहास
रावतपुर स्थित ठाकुरजी रामलला मंदिर का इतिहास लगभग सवा दो सौ साल पुराना है। मंदिर की स्थापना 1890 में रावतपुर की रानी रेवताइन बघेलिन ने पति रावत शिव सिंह की मौत के बाद किया था। इसे बाद में ट्रस्ट बनाकर मंदिर सहित पूरी संपत्ति सरकार को सौंप दी थी। अगर बात की जाए मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा की तो शुरुआत 1988 में रामजन्म भूमि के आंदोलन के समय हुई थी। हिंदुओं को एक जुट करने के उद्देश्य से शुरू हुई यात्रा को आज 38 साल पूरे हो चुके हैं। शोभायात्रा के शुरुआती वर्षों में भक्त ठेला, हाथ से खींचने वाले रथ से निकाली जाती थी।