Advertisment

Rama Ekadashi 2025: रमा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को प्राप्त होते हैं अनेक फल, जानें इसका धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है, लेकिन रमा एकादशी का महत्व कुछ और ही गहरा है। पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इसकी महिमा सुनाई है। 

author-image
Mukesh Pandit
Rama Ekadashi  2025

हिंदू सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। कार्तिक महीने के दौरान रोजाना गंगा स्नान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। कार्तिक महीने में दीवाली, धनतेरस, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। रमा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। 

कब है रमा एकादशी?

वैदिक पंचांग की गणना अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं, 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत और निशा काल की पूजा को छोड़कर अन्य सभी पर्वों पर सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए शनिवार 17 अक्टूबर को रमा एकादशी मनाई जाएगी।

रमा एकादशी का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है, लेकिन रमा एकादशी का महत्व कुछ और ही गहरा है। पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन या युधिष्ठिर को इसकी महिमा सुनाई है। 'रमा' नाम का अर्थ है 'रमणीय' या 'सुख देने वाली', जो विष्णुप्रिया मां लक्ष्मी का एक प्रमुख नाम है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है, क्योंकि यह व्रत धन, वैभव और पारिवारिक सौहार्य को मजबूत करने वाला माना जाता है।  

पापों की जड़ों को काटने वाली एकदशी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में पड़ने वाली यह एकादशी पापों की जड़ों को काटने वाली होती है। यह व्रत न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली से ठीक पहले आना इसे और भी शुभ बनाता है, क्योंकि यह नई शुरुआत का संदेश देता है। यदि कोई व्यक्ति जीवन में आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह या मानसिक अशांति से जूझ रहा हो तो रमा एकादशी का व्रत उसके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है। यह व्रत भगवान विष्णु को इतना प्रिय है कि इसे करने से श्रीहरि स्वयं भक्त की रक्षा के लिए उपस्थित हो जाते हैं।  

Advertisment

व्रत रखने से मिलने वाले पुण्य फल

रमा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को अनेक फल प्राप्त होते हैं। ये फल न केवल इस जन्म के लिए हैं, बल्कि परलोक में भी उनका प्रभाव रहता है। सबसे बड़ा फल यह है कि यह व्रत ब्रह्महत्या जैसे महापापों सहित सभी प्रकार के पापों को नष्ट कर देता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि रमा एकादशी का पालन करने से भक्त को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है, जहां वह अनंत काल तक भगवान विष्णु के चरणों में विराजमान रहता है। यह व्रत आत्मा को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त करने वाला माना जाता है।  

धन लाभ के योग बनाता एकादशी व्रत 

मां लक्ष्मी के नाम पर होने के कारण यह व्रत धन लाभ के योग बनाता है। व्रतकर्ता को घर में कभी धन की कमी नहीं होती और व्यापार या नौकरी में उन्नति के द्वार खुल जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य से कामधेनु जैसा फल मिलता है, अर्थात् हर इच्छा पूरी होती है।  व्रत से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है, संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। यदि कोई दंपति संतान प्राप्ति की कामना रखता हो, तो यह व्रत उनके लिए विशेष रूप से फलदायी है।  शास्त्रों में इसे अश्वमेध यज्ञ या वाजपेय यज्ञ के बराबर बताया गया है। एक साधारण भक्त भी इस व्रत से राजाओं जैसा पुण्य अर्जित कर लेता है, जो लाखों वर्षों तक फल देता रहता है।

एकादशी व्रत की विधि

  • स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। सात्विक भोजन ग्रहण करें।  
  • प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें।
  • पंचामृत, तुलसी पत्र, फूल, फल, धूप-दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।  
  • भजन-कीर्तन या कथा पाठ करें।  
  • सुबह पूजा के बाद व्रत तोड़ें और ब्राह्मण को दान दें।
Advertisment
Rama Ekadashi 2025 Ekadashi fasting benefits
Advertisment
Advertisment