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Rang Panchami पर म‍िलता है व‍िशेष दैवीय आशीर्वाद, भक्‍तों संग होली खेलते हैं भगवान

होली के पांच दिन बाद यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी का पर्व 19 मार्च 2025 को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन रंगों, खुशी और उल्लास का प्रतीक माना जाता है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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Rang Panchami: होली के पांच दिन बाद यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी का पर्व 19 मार्च 2025 को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन रंगों, खुशी और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने का समय माना जाता है।

रंग पंचमी का महत्व और मान्यता

रंग पंचमी को लेकर भारतीय संस्कृति में एक गहरी मान्यता है। इसे शास्त्रों में 'देव पंचमी' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। इसलिए इस दिन विशेष रूप से भक्तजन अबीर और गुलाल को आसमान में उड़ाकर देवताओं को निमंत्रण देते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि देवी-देवता इस उत्सव में शामिल होकर भक्तों को अपने आशीर्वाद से संपन्न करते हैं। इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उनके जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

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जिंदगी में खुश‍ियों का होता है आगमन 

रंग पंचमी पर रंगों का उत्सव अत्यधिक दैवीय प्रभाव से भरपूर माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रंगों के साथ खेलते हुए व्यक्ति अपने जीवन में दुःख, दर्द और बुराईयों से मुक्ति पाता है। उसकी जिंदगी में खुशियां और समृद्धि का आगमन होता है। रंग पंचमी पर बुराई का अंत और अच्छाई का वर्चस्व देखने को मिलता है, जिससे सभी के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

रंग पंचमी एकता का है त्‍योहार 

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रंग पंचमी के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर रंग खेलते हैं, और एक-दूसरे को गुलाल और अबीर लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। यह एकता और प्रेम का पर्व है, जो समाज में भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा देता है। रंगों के इस अद्भुत उत्सव में हर कोई अपनी परेशानियों को पीछे छोड़ कर खुशी और उल्लास का अनुभव करता है।

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