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सितंबर माह मॉनसूनके धीरे-धीरे खत्म होने या सर्दियों के मौसम की शुरुआत का ही गवाह नहीं होता है। साल का ये खास महीना कई व्रत और त्योहारों का भी स्वागत करता है। इस बार सितंबर का महीना धार्मिक उत्सवों और अनुष्ठानों के साथ ही खगोलीय घटनाओं की वजह से भी खास होने वाला है। यह महीना विदाई, प्रार्थनाओं, व्रत और ग्रहण के अलावा नई शुरुआत की दुर्लभ झांकी प्रस्तुत करेगा।
गणेश उत्सव के साथ होगी माह की शुरुआत
सितंबर की शुरुआत गणेश उत्सव के साथ हो रही है। इसके बाद उनका विसर्जन होगा और अगले दिन पितृ पक्ष के अनुष्ठान के लिए लोग तैयारी करेंगे। इसके तुरंत बाद मां दुर्गा के आगमन की धूमधाम शुरू हो जाएगी। यानी एक अध्याय खत्म होगा, तो दूसरा तुरंत शुरू हो जाएगा। इस दुर्लभ महीने में जहां एक साथ दो ग्रहण भी होंगे, जो खगोलीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होंगे। वहीं, 22 सितंबर को ऑटम इक्विनॉक्स (शरद विषुव) भी होगा। आइए जानें इस महीने में आने वाले प्रमुख व्रत और त्योहारों की पूरी लिस्ट।
सितंबर माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार
3 सितंबर - परिवर्तिनी एकादशी
इस दिन भगवान विष्णु निद्रा में करवट लेते हैं। इस दिन व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4 सितंबर - वामन जयंती
5 सितंबर - प्रदोष व्रत, ओणम
इस दिन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के साथ ओणम भी है। जिसे दक्षिण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
6 सितंबर- गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी
इस दिन गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
7 सितंबर - भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, चंद्र ग्रहण
यह साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण होगा.
8 सितंबर - पितृ पक्ष प्रारंभ
इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और उनका श्राद्ध किया जाता है।
10 सितंबर - विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
14 सितंबर- जीवित्पुत्रिका व्रत
17 सितंबर - इंदिरा एकादशी, कन्या संक्रांति
इस शुभ अवसर पर सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इसके साथ ही इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी की जाती है।
18 सितंबर 2025- गुरु पुष्य योग
19 सितंबर 2025- मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
21 सितंबर 2025- सर्व पितृ अमावस्या
यह दिन पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है, इस दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
22 सितंबर 2025- शारदीय नवरात्रि प्रारंभ, घटस्थापना
इसी दिन से मां दुर्गा की 9 दिवसीय पूजा शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है।
25 सितंबर - विनायक चतुर्थी
30 सितंबर- अष्टमी तिथि
इस दिन शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन जगत जननी मां दुर्गा की पूजा की जाएगी और भक्त अपना व्रत तोड़ेंगे।
परिवर्तिनी एकादशी
परिवर्तिनी एकादशी पवित्र चातुर्मास के दौरान आती है और इसलिए इस एकादशी को सबसे शुभ और श्रेष्ठ एकादशी माना जाता है। 'ब्रह्मवैवर्त पुराण' में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच हुए गहन संवाद में परिवर्तिनी एकादशी के महत्व को विस्तार से बताया गया है। यदि इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत किया जाए, तो भक्त को भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि या आश्विन नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान राम माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास पर गए थे, तब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया था। इसके बाद, भगवान राम ने माता सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और उसे पराजित किया। तब से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने लगा।