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नवरत्रि पर षष्टी के दिन देवी मंडपों में दुर्गा मां के छठे स्वरूप मां कात्यानी की पूजा की जाती है। विवाह और समृद्धि के लिए मां कात्यायनी की आराधना बेहद प्रभावी मानी जाती है। विशेष रूप से शीघ्र और मनचाहे विवाह, प्रेम विवाह अथवा वैवाहिक सुख-संपन्नता के लिए लोग मां कात्यायनी के विशिष्ट उपाय करते हैं। इन उपायों से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं, योग्य और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है तथा दाम्पत्य जीवन सुखी और समृद्धि से भर जाता है।
कात्यानी मंत्र से दूर होती हैं विवाह संबंधी बधाएं
धार्मिक मान्यता है कि कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है, जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा है। विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र भागवत पुराण से उत्पन्न हुआ है। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए गोपियों ने मां कात्यायनी की उपासना की। लड़कियां शीघ्र विवाह और प्रेम विवाह में किसी भी बाधा को हटाने के लिए देवी कात्यायनी की पूजा करती हैं। कात्यायनी मंत्र एक कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष या ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव जैसे सभी बाधाओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है। कात्यायनी मंत्र के नियमित जप से आपके विवाह में आनेवाली सभी बाधाएं शीघ्र दूर होकर विवाह के योग बनने लगते है।
पार्वती मंत्र विलम्बित विवाह के लिए
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया । तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम ॥
विवाह समृद्धि के लिए विशेष उपाय
नवरात्रि में षष्ठी तिथि अथवा नियमित रूप से मां कात्यायनी का पूजन करें। पूजा के दौरान पीले या लाल वस्त्र पहनें, पीले फूल, पीला फल व शहद चढ़ाएं। मां को शहद का भोग अवश्य लगाएं। लाल चंदन की माला पर निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें-
"कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥".
गोबर के कंडे पर लौंग और कपूर की आहुति देकर, माँ कात्यायनी को शहद, रोली, मौली, हल्दी, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें और दीप प्रज्वलित करें। शीघ्र विवाह, विवाह में बाधा या प्रेम-विवाह के लिए घी-शहद-मिश्रित पान भी माँ को अर्पित किया जा सकता है। पूजा के समय देवी के समक्ष अपनी मनोकामना स्पष्ट शब्दों में करें और साधना पूरी होने पर गरीब कन्याओं को वस्त्र, फल, प्रसाद आदि दान करें। श्रद्धा एवं नियमपूर्वक नवरात्रि में व्रत रहकर माँ के निमित्त दुर्गासप्तशती, अर्गला स्तोत्र, अथवा अन्य देवी पाठ करें।
पूजन विधि
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें, गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़काव करें और वहां मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी को बैठाएं। देवी को रोली, चंदन, कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, इलायची, श्रृंगार सामग्री, पीले व गुलाबी पुष्प और पीले वस्त्र अर्पित करें। दीपक व धूप जलाएं, माता के समक्ष स्थिर होकर पूजन सामग्री अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना विशेष शुभ माना गया है, साथ ही फल और मिठाई भी अर्पित करें।
पूजा के समय "ॐ देवी कात्यायन्यै नमः" मंत्र का जाप 108 बार करें और ध्यान मुद्रा में बैठें। मां की आरती करें, दुर्गासप्तशती या देवी कवच का पाठ उत्तम होता है। अंत में प्रार्थना एवं क्षमा याचना कर प्रसाद वितरण करें। मां को पीला और गुलाबी रंग अत्यधिक प्रिय है, इसलिए पूजन में पीले वस्त्र व पीले पुष्प अवश्य शामिल करें। शहद अर्पित करने से मां की कृपा और भक्त के व्यक्तित्व में निखार आता है। ब्रह्म मुहूर्त, विजय मुहूर्त, अभिजित मुहूर्त, गोधूलि मुहूर्त जैसे शुभ समय पर पूजा करना श्रेष्ठ होता है।
पूजन में उपयोगी मंत्र
"ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥"
"ॐ देवी कात्यायन्यै नमः"
इस प्रकार विधिवत पूजा करने से देवी कात्यायनी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं। shardiya navratri 2025 | Hindu festivals | hindu festival | Hindu festivals India | Hindu festival vlog