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Mahesh Navami : भगवान शिव और पार्वती की कृपा के लिए करें इस दिन व्रत और श्रद्धापूर्वक पूजा

ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माहेश्वरी समुदाय की उत्पत्ति की थी और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया था। इसलिए, यह दिन माहेश्वरी समाज के लिए एक पवित्र और उत्सव का दिन है, जो भगवान शिव और पार्वती के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।

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Mukesh Pandit
Mahesh Navami 2025
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महेश नवमी हिंदू धर्म में, विशेष रूप से माहेश्वरी समुदाय के लिए, एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव (जिन्हें महेश के नाम से भी जाना जाता है) और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माहेश्वरी समुदाय की उत्पत्ति की थी और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया था। इसलिए, यह दिन माहेश्वरी समाज के लिए एक पवित्र और उत्सव का दिन है, जो भगवान शिव और पार्वती के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।

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महेश नवमी का महत्व 

माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति : पौराणिक कथाओं के अनुसार, माहेश्वरी समुदाय के पूर्वज क्षत्रिय थे, जिन्हें एक बार ऋषि-मुनियों के शाप से पत्थर में बदल दिया गया था। उनकी पत्नियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की, और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें शाप मुक्त किया और उन्हें एक नया जीवन प्रदान किया। इसी दिन से माहेश्वरी समुदाय का उद्भव माना जाता है। इस घटना के बाद, माहेश्वरी समुदाय ने हिंसा का मार्ग छोड़कर व्यापार और अहिंसा को अपनाया।

भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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पापों से मुक्ति: महेश नवमी पर भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के और इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। यह आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।  इस दिन पूजा करने से परिवार में एकता, प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। माहेश्वरी समुदाय के लिए, यह दिन उनके व्यापारिक प्रयासों में सफलता और समृद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

महेश नवमी पूजा की विधि :

महेश नवमी पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। पूजा की विधि इस प्रकार है: प्रातःकाल स्नान और संकल्प: महेश नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर, हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर महेश नवमी का व्रत और पूजन करने का संकल्प लें। संकल्प लेते समय अपनी मनोकामनाएं और पूजा का उद्देश्य व्यक्त करें।
पूजा स्थान की स्थापना: घर के मंदिर या पूजा स्थान में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि शिवलिंग हो, तो उसे भी स्थापित करें। पूजा स्थान को फूलों, चंदन, कुमकुम और रंगोली से सजाएं।
दीपक प्रज्वलन: शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूपबत्ती जलाएं। यह वातावरण को पवित्र और सुगंधित बनाता है।

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भगवान शिव का अभिषेक

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत) और शुद्ध जल से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान कराएं। वस्त्र और आभूषण: भगवान शिव को सफेद वस्त्र और माता पार्वती को लाल वस्त्र अर्पित करें। यदि संभव हो, तो भगवान को जनेऊ भी अर्पित करें। पुष्प और नैवेद्य: भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी के पत्ते, सफेद पुष्प (जैसे कनेर, मोगरा) और आक के फूल चढ़ाएं। माता पार्वती को लाल पुष्प, सिंदूर, चूड़ी और अन्य श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। इसके बाद फल, मिठाई, सूखे मेवे और घर में बने पकवानों का भोग लगाएं।

चंदन और भस्म: भगवान शिव को चंदन का लेप लगाएं और भस्म अर्पित करें। माता पार्वती को कुमकुम और हल्दी लगाएं।
मंत्र जाप: भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करें। यह पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आप रुद्राक्ष की माला का उपयोग करके मंत्र जाप कर सकते हैं।

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महेश नवमी के प्रमुख मंत्र:

"ॐ नमः शिवाय" (यह भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली और सार्वभौमिक मंत्र है।)
"ॐ महेश्वराय नमः" (भगवान महेश को समर्पित मंत्र)
"ॐ पार्वतीपतये नमः" (भगवान शिव और माता पार्वती दोनों को समर्पित)
महामृत्युंजय मंत्र:
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥" (यह मंत्र स्वास्थ्य, दीर्घायु और मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए जपा जाता है।)
अन्य उपयोगी मंत्र:
"कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।" (भगवान शिव और पार्वती की स्तुति)
"नमो नीलकण्ठाय" (भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप को समर्पित)
"ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय" (शक्तिशाली शिव मंत्र)
शिव चालीसा और आरती: मंत्र जाप के बाद शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव तथा माता पार्वती की आरती करें।
प्रदक्षिणा और क्षमा याचना: पूजा के अंत में भगवान की प्रदक्षिणा करें (कम से कम 3 बार)। पूजा में हुई किसी भी त्रुटि या भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।
प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद को परिवार के सदस्यों और मित्रों के बीच वितरित करें।

विशेष अनुष्ठान:

कई भक्त इस दिन रुद्राभिषेक भी करवाते हैं, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक अत्यंत प्रभावी तरीका माना जाता है।
इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
माहेश्वरी समाज द्वारा शोभा यात्राएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
महेश नवमी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति हमारी अटूट श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है। यह हमें ईमानदारी, सेवा और धार्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन सच्चे मन और निष्ठा से की गई पूजा निश्चित रूप से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है।  hindu festival | hindu bhagwa | hindu | Mahesh Navam not present in content

 

 

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