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सोम प्रदोष व्रत : भगवान शिव को समर्पित व्रत शुभ फलदायक, जानिए पूजा की विधि

इस व्रत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। भोलेनाथ की कृपा से भक्तों के काम बनते हैं और उनका कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से शुरू हो जाता है, जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं।

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Mukesh Pandit
Som pradosh vrat
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हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना अलग महत्व है। भगवान शिव को समर्पित व्रत प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता है। प्रदोष का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। वर्ष 2025 में जून माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का व्रत 23 जून, 2025 सोमवार के दिन रखा जाएगा। प्रदोष व्रत अगर सोमवार के दिन पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। 
इस व्रत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। भोलेनाथ की कृपा से भक्तों के काम बनते हैं और उनका कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से शुरू हो जाता है, जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं। इस समय को शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

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सोम प्रदोष व्रत का महत्व

सोम प्रदोष व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह व्रत सोमवार को पड़ने के कारण और भी शुभ माना जाता है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन है। इस दिन व्रत और पूजा करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं।

चंद्र दोष का निवारण

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जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है। संतान यह व्रत संतान प्राप्ति और दांपत्य जीवन में प्रेम व सामंजस्य बढ़ाने के लिए किया जाता है। सोम प्रदोष व्रत से परिवार में सुख-समृद्धि, धन-संपदा, और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इस व्रत से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और पितृ दोष का निवारण होता है।

आध्यात्मिक उन्नति

यह व्रत भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और भगवान शिव की भक्ति में लीन होने का अवसर प्रदान करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में विहार करते हैं और भक्तों को वरदान देते हैं। सोम प्रदोष व्रत की कथा में एक ब्राह्मणी की कहानी का उल्लेख है, जिसने इस व्रत के प्रभाव से अपने पुत्र और एक घायल राजकुमार की रक्षा की, और अंततः राजकुमार ने अपने राज्य को पुनः प्राप्त किया। यह कथा भगवान शिव की कृपा और व्रत के महत्व को दर्शाती है।

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सोम प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जून 2025 को रात 1:21 बजे शुरू होगी और उसी दिन रात 10:09 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, सोम प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा। प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:22 बजे से रात 9:23 बजे तक रहेगा। यह समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है।

सोम प्रदोष व्रत की पूजन विधि

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सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (विशेष रूप से सफेद या हल्के रंग के) धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें। व्रत का संकल्प लें, जैसे: “अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये”।

प्रदोष काल में पूजा:

पूजा के लिए एक थाली में सभी सामग्री एकत्र करें, जैसे गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, फल, मिठाई, धूप, दीप, और चंदन।
शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें। बेलपत्र, आक के फूल, और धतूरा अर्पित करें, क्योंकि ये भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।
धूप और दीप जलाकर शिवलिंग को अर्पित करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अतिरिक्त, शिव गायत्री मंत्र “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्” का जाप भी लाभकारी है।

व्रत के नियम
पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें।
क्रोध, नकारात्मक विचार, और तामसिक भोजन (जैसे लहसुन, प्याज) से बचें।
पूजा के बाद फल, खीर, या मिठाई का भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।
उपाय:
चंद्र दोष निवारण के लिए दूध या दही का दान करें।
संतान सुख के लिए शिवलिंग पर जौ अर्पित करें।
हवन के लिए “ॐ उमा सहित शिवाय नमः” मंत्र से 108 बार आहुति दें।

सोम प्रदोष व्रत की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ भिक्षाटन करके जीवन यापन करती थी। एक दिन उसे एक घायल राजकुमार मिला, जिसे उसने अपने घर में आश्रय दिया। वह राजकुमार विदर्भ का था, जिसका राज्य शत्रुओं ने छीन लिया था। ब्राह्मणी के सोम प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्व कन्या अंशुमति की सहायता से राजकुमार ने अपना राज्य पुनः प्राप्त किया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि सोम प्रदोष व्रत से भगवान शिव सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि सांसारिक सुख-समृद्धि, संतान सुख, और वैवाहिक जीवन में मधुरता लाता है। 23 जून 2025 को विधिवत पूजा और मंत्र जाप के साथ यह व्रत रखने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।  hindu guru | hindu god | hindu religion | hindus 

 

 

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