/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/14/FQN3Oig0swl8w4QCWj6m.jpg)
सूर्य मंत्र और उनकी उपासना की विधि सरल होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली है। रविवार को सूर्य की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है, क्योंकि यह दिन सूर्य देव को समर्पित है। सूर्य की उपासना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, जैसे आत्मविश्वास में वृद्धि, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, करियर में सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि।
नियमित रूप से सूर्य मंत्रों का जाप और अर्घ्य अर्पण करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सूर्य की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में सूर्य उपासना को अपनाना चाहिए, विशेष रूप से रविवार के दिन, ताकि वे सूर्य देव की कृपा से अपने जीवन को उज्ज्वल और समृद्ध बना सकें। सूर्य, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वे जीवन, ऊर्जा, शक्ति और प्रकाश के प्रतीक हैं। सूर्य की उपासना न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है। सूर्य मंत्र और उनकी उपासना की विधि का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। विशेष रूप से रविवार को सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं सूर्य उपासना विधि
सूर्य की उपासना के लिए कई मंत्रों का उल्लेख वेदों, पुराणों और शास्त्रों में मिलता है। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं
सूर्य गायत्री मंत्र:
ॐ भास्कराय विद्महे महाद्युतिकराय धीमहि तन्नो आदित्यः प्रचोदयात्।
यह मंत्र सूर्य की शक्ति और तेज को बढ़ाने के लिए जप किया जाता है। यह बुद्धि, ज्ञान और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
आदित्य हृदय मंत्र:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
इस मंत्र का जाप विशेष रूप से युद्ध, संकट या कठिन परिस्थितियों में शक्ति और विजय के लिए किया जाता है। रामायण में भगवान राम ने इसे रावण के खिलाफ युद्ध से पहले जपा था।
सूर्य बीज मंत्र:
ॐ सूर्याय नमः।
यह सरल और प्रभावी मंत्र है, जिसका जाप रोजाना किया जा सकता है। यह सूर्य की कृपा प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है।
वैदिक सूर्य मंत्र:
ॐ घृणिः सूर्य आदित्यः।
यह मंत्र सूर्य की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक है।
सूर्य जाप की विधि
सूर्य मंत्रों का जाप करने की विधि को सही तरीके से अपनाने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है। निम्नलिखित है सूर्य जाप की विधि:
समय और स्थान:
सूर्योदय के समय सूर्य की उपासना सबसे उत्तम मानी जाती है। यह समय ब्रह्ममुहूर्त (सूर्योदय से 1.5 घंटे पहले) या सूर्योदय के तुरंत बाद हो सकता है।
स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें, जहां सूर्य की किरणें सीधे पहुंच सकें।
स्नान और शुद्धता:
जाप शुरू करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल, नारंगी या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
पूजा सामग्री:
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे का लोटा, जल, लाल चंदन, लाल फूल, गुड़, गेहूं और रोली की आवश्यकता होती है।
सूर्य यंत्र या सूर्य की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
जाप की प्रक्रिया:
सूर्य की ओर मुख करके खड़े हों और तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, लाल फूल और गुड़ मिलाएं।
सूर्य को अर्घ्य देते समय मंत्र का जाप करें। अर्घ्य देते समय जल की धारा सूर्य की ओर होनी चाहिए।
माला (रुद्राक्ष या स्फटिक) लेकर सूर्य मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें।
जाप के बाद सूर्य को प्रणाम करें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
ध्यान और मंत्र जाप:
सूर्य का ध्यान करते हुए उनकी स्वर्णिम किरणों और तेज की कल्पना करें।
मंत्र जाप के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और सकारात्मक विचार रखें।
रविवार को सूर्य उपासना के लाभ: रविवार, जिसे सूर्य का दिन माना जाता है, सूर्य उपासना के लिए विशेष रूप से शुभ होता है। इस दिन सूर्य की पूजा करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
आध्यात्मिक उन्नति:
सूर्य की उपासना आत्मविश्वास, साहस और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाती है। यह आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक जागरूकता को प्रोत्साहित करता है।
सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करने से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है, जो आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
शारीरिक स्वास्थ्य:
सूर्य की किरणें विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत हैं, जो हड्डियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
सूर्य नमस्कार और सूर्य मंत्र जाप से मानसिक तनाव कम होता है और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
मानसिक शांति और सकारात्मकता:
सूर्य की उपासना से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह अवसाद, चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।
रविवार को नियमित सूर्य पूजा से मन शांत और एकाग्र होता है।
करियर और सफलता:
सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। उनकी कृपा से करियर में उन्नति, नौकरी में स्थिरता और व्यापार में सफलता मिलती है।
सूर्य की पूजा नेतृत्व गुणों को बढ़ाती है, जो प्रबंधन और प्रशासनिक कार्यों में सहायक है।
पारिवारिक सुख और समृद्धि: सूर्य की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह पिता-पुत्र के रिश्तों को मजबूत करने में भी सहायक है।
सूर्य उपासना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। सूर्य की उपासना जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाती है। यह न केवल आध्यात्मिक और मानसिक स्तर पर प्रभाव डालती है, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी सुधार लाती है। कुछ प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:
आत्मविश्वास और साहस
सूर्य तेज और शक्ति का प्रतीक है। उनकी उपासना से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
स्वास्थ्य और ऊर्जा:सूर्य की किरणों और मंत्र जाप से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को सक्रिय और उत्साही बनाता है।
सामाजिक प्रतिष्ठा: सूर्य की कृपा से सामाजिक जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है। व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है, जिससे समाज में उसकी स्थिति मजबूत होती है।
आर्थिक समृद्धि: सूर्य की पूजा से आर्थिक समस्याएं कम होती हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। यह व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
कुंडली दोषों का निवारण: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा और पिता का कारक माना जाता है। सूर्य की उपासना से कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष, जैसे सूर्य की कमजोर स्थिति या सूर्य का अशुभ प्रभाव, कम होता है।