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Ramadan 2025 : आज से शुरू होगी शबे कद्र की रातें, जानिए इबादत का सवाब

इस्लाम धर्म का पवित्र महीना रमज़ान अब अपने आखिरी पड़ाव में पहुंच गया है। इन आखिरी दस दिनों को सबसे अहम भी माना जाता है। शबे कद्र की रातें इन्हीं दस दिनों में आती है।

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Mohd. Arslan
रमजान की प्रतीकात्मक तस्वीर

रमजान की प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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इस्लामिक महीने रमज़ान में अल्लाह ने बरकत के साथ रहमत और ढेर सारा इबादत का सवाब भी दिया है। इस महीने एक नेकी के बदले 70 गुना सवाब मिलता है और अल्लाह अपने बंदों को माफ भी करता है। रमज़ान में रोज़े के साथ ही खूब नेकियां कमाने का भी मौका है। इस पाक और मुकद्दस महीने के आखिरी पड़ाव यानि अंतिम दस दिन सबसे ज़्यादा अहम हो जाते है। इन आखिरी दस दिनों में शबे कद्र की रातें आती है। इस्लाम में इन रातों में इबादत करने का बदल 83 वर्ष तक इबादत करने के बराबर रखा है।

शबे कद्र में कौन सी इबादत करनी चाहिए?

मुसलमानों की लखनऊ में बड़ी संस्थाओं में शुमार इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने मुसलमानों को अपने दीनी और शरई मामलों को जानने के लिए रमज़ान हेल्पलाइन जारी की है। इस पर लोग सही जानकारी हासिल कर अपनी इबादत को दुरुस्त कर रहे है। हेल्पलाइन पर शबे कद्र से जुड़े सवाल पर उलमा ने कहा कि इन रातों में नफल पढ़ी जायें, कुरान की तिलावत की जाए। बेहतर यह है कि कजा-ए-उमरी (जो नमाज़ जिन्दगी में छूट गयी हो) अदा करें और ज्याद से ज़्यादा दुआ माँगे।

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ऐतिकाफ की शरअई हैसियत क्या है और किन लोगों पर है?

उलमा के पैनल ने इस सवाल पर जवाब देते हुए बताया कि ऐतिकाफ सुन्नत मुअक्किदा है और मोहल्ला के तमाम लोगों की जिम्मेदारी है कि वह ऐतिकाफ में बैठें लेकिन एक आदमी भी ऐतिकाफ करले तो सबकी तरफ से काफी होगा।

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