Advertisment

Mohini Ekadashi Vrat 2025: भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है यह व्रत, जानें  तिथि और पूजा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पवित्र माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है और इसे समृद्धि, सुख, और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है।

author-image
Mukesh Pandit
mohini akadashi
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मोहिनी एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह साधक को आध्यात्मिक और भौतिक सुख प्रदान करता है। यह व्रत पापों का नाश करता है, मनोकामनाएं पूर्ण करता है, और भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम में स्थान दिलाता है। 8 मई 2025 को इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है और इसे समृद्धि, सुख, और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है। hindu religion | Hindu Religious Practices

Advertisment

मोहिनी एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 मई 2025 को सुबह 10:19 बजे शुरू होगी और 8 मई 2025 को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:10 बजे से 04:53 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:32 बजे से 03:26 बजे तक
पारणा मुहूर्त (व्रत तोड़ने का समय): 9 मई 2025 को सुबह 05:34 बजे से 08:16 बजे तक
व्रत का पारणा द्वादशी तिथि में किया जाता है, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पारणा हरि वासर (द्वादशी का चौथा प्रहर) के दौरान न हो।

Advertisment

मोहिनी एकादशी का महत्व

मोहिनी एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है, जो उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान अमृत वितरण के लिए लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को माया में फंसाया और अमृत देवताओं को प्रदान किया। इस दिन व्रत और पूजा करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि साधक को सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
ऐसा माना जाता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से एक हजार गायों के दान के समान पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत भौतिक सुखों के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। श्रीमद्भगवद्गीता और पुराणों में इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है, जहां इसे यज्ञ, तीर्थयात्रा, और दान से भी श्रेष्ठ बताया गया है।

मोहिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि

Advertisment

मोहिनी एकादशी का व्रत और पूजा विधि अत्यंत सरल किंतु प्रभावशाली है। नीचे विस्तृत पूजा विधि दी गई है:
प्रातःकाल की तैयारी:

व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 4:10 से 4:53 बजे) उठें।
स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें, और घर के मंदिर को साफ करें

नदी, झील, या तालाब में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
संकल्प:

Advertisment

पूजा स्थल पर बैठकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प में भगवान विष्णु से अपने पापों के नाश और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

संकल्प मंत्र:

ॐ विष्णवे नमः। मम सर्व पापक्षयार्थं, सुख-समृद्धि प्राप्त्यर्थं मोहिनी एकादशी व्रतं करिष्ये।

पूजा स्थल की तैयारी:

पूजा स्थल पर एक चौकी पर स्वच्छ पीला वस्त्र बिछाएं।
भगवान विष्णु या मोहिनी रूप की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। साथ में श्री यंत्र या भगवान कृष्ण की मूर्ति भी रख सकते हैं।
चौकी पर दीपक, धूप, फूल, तुलसी पत्र, और नैवेद्य (प्रसाद) व्यवस्थित करें।

अभिषेक और पूजन:

भगवान विष्णु की मूर्ति का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें

तुलसी पत्र, चंदन, अक्षत, फूल, और माला अर्पित करें

घर में देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान को भोग लगाएं। भोग में फल, मिठाई, और सात्विक भोजन शामिल करें

मंत्र जाप और कथा:

पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

विष्णु मंत्र:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
कृष्ण महा मंत्र:

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
इस मंत्र का भी 108 बार जाप करें।

मोहिनी अष्टाक्षर मंत्र:

ॐ नमो भगवते मोहिनी नमः

यह मंत्र मोहिनी अवतार को समर्पित है और इसे 108 बार जपने से विशेष फल प्राप्त होता है।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। यह भगवान विष्णु के हजार नामों का स्तोत्र है, जो पापों का नाश करता है।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। यह कथा समुद्र मंथन और मोहिनी अवतार की महिमा को दर्शाती है।

आरती और प्रसाद वितरण:

पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
आरती मंत्र:

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे

प्रसाद को परिवार के सदस्यों और जरूरतमंदों में वितरित करें।

रात्रि जागरण:

रात में भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें। जागरण करने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
पारणा (व्रत तोड़ना):

अगले दिन (9 मई 2025) द्वादशी तिथि में सुबह 05:34 बजे से 08:16 बजे के बीच व्रत तोड़ें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें, और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करें।

व्रत के नियम और सावधानियां

खान-पान: व्रत के दौरान अन्न, दाल, और नमक का सेवन वर्जित है। फल, दूध, और साबुदाना जैसे सात्विक भोजन का सेवन किया जा सकता है।
तामसिक व्यवहार: क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। शारीरिक संबंध और मांस-मदिरा का सेवन पूर्णतः वर्जित है।
तुलसी पत्र: एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषिद्ध है। एक दिन पहले ही तुलसी पत्र एकत्र कर लें।
दान और धर्म: इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें। यह पुण्य कार्य व्रत के फल को बढ़ाता है।

मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश प्रकट हुआ, तो देवता और असुरों के बीच इसे प्राप्त करने की होड़ मच गई। असुरों ने अमृत कलश छीन लिया, जिससे देवता भयभीत हो गए। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। उनकी सुंदरता और माया से मंत्रमुग्ध असुरों ने अमृत कलश मोहिनी को सौंप दिया। मोहिनी ने चतुराई से अमृत देवताओं को पिलाया और असुरों को माया में रखा। इस प्रकार, मोहिनी अवतार ने देवताओं की रक्षा की और अमरत्व प्रदान किया। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को किया था, जैसा कि ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें बताया था। युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण ने इस व्रत की महिमा समझाई थी।

 

Hindu Religious Practices hindu religion
Advertisment
Advertisment