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Masik Shivratri 2025: महादेव की पूजा से होती है सुख और सौभाग्य में वृद्धि, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि

Masik Shivratri: यह पर्व देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में देवों के देव महादेव और जगत जननी मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। 

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Mukesh Pandit
Masik Shivratri
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मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) का सनातन धर्म में खास महत्व है। यह पर्व देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में देवों के देव महादेव और जगत जननी मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। महादेव की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 26 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक शिवरात्रि 26 अप्रैल को मनाई जाएगी

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मासिक शिवरात्रि, तिथियां और शुभ मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। मासिक शिवरात्रि की तिथियां और निशिता काल मुहूर्त (रात्रि पूजा का समय) दिए गए हैं, जो पूजा के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं। यह जानकारी वैदिक पंचांग पर आधारित है। अप्रैल: 25 अप्रैल, निशिता मुहूर्त - रात 11:45 से 12:35 बजे (26 अप्रैल)।

मासिक शिवरात्रि का महत्व

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शास्त्रों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शिव पुराण में उल्लेख है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्यवर्धक और अविवाहित लोगों के लिए विवाह की बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। मासिक शिवरात्रि पर रात्रि पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि शिवजी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्यरात्रि में अवतरित हुए थे। इस दिन शिव और शक्ति के मिलन का उत्सव भी मनाया जाता है।

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

प्रातःकाल की तैयारी: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हरे या सफेद रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं। घर के मंदिर को साफ करें और पूजा स्थल पर चौकी स्थापित करें। भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि शिवलिंग उपलब्ध हो, तो उसे चौकी पर रखें।

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व्रत का संकल्प:

पूजा स्थल पर दीप प्रज्वलित करें। हाथ में जल, फूल, और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।

 संकल्प मंत्र:

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ॐ शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम्। निर्विघ्नमस्तु से चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।

संकल्प में व्रत की अवधि और उद्देश्य (सुख, समृद्धि, विवाह आदि) का उल्लेख करें।

शिवलिंग अभिषेक:

निशिता काल में (रात 11:30 बजे से 12:30 बजे के बीच) शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और गन्ने का रस उपयोग करें। अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, और सृजन के पुष्प (कमल, गुलाब) अर्पित करें। बेलपत्र तीन पत्तियों वाला और बिना कटा हुआ होना चाहिए।

पूजा और आरती:

शिवलिंग पर चंदन, रोली, और मौली अर्पित करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी का मिश्रण) चढ़ाएं, लेकिन तुलसी का उपयोग न करें। धूप, दीप, और नैवेद्य (फल, मिठाई) अर्पित करें। शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, या शिव आरती (जय शिव ओंकारा) का पाठ करें। पूजा के अंत में शंख और घंटी बजाते हुए आरती करें।

भजन-कीर्तन करें और शिव मंत्रों का जाप करें।

मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान करें और पूजा के बाद व्रत खोलें। फल, दूध, या सात्विक भोजन ग्रहण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

मासिक शिवरात्रि कैसे मनाएं

शिव मंदिर दर्शन: यदि संभव हो, तो नजदीकी शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें। मंदिर में रुद्राभिषेक और हवन में भाग लें। सामूहिक भजन और कीर्तन: परिवार और पड़ोसियों के साथ मिलकर रात में भजन-कीर्तन आयोजित करें। यह भक्ति भाव को बढ़ाता है। गरीबों को भोजन, वस्त्र, या धन दान करें। यह पुण्य कार्य भगवान शिव को प्रसन्न करता है।  मासिक शिवरात्रि पर ध्यान और योग करें। यह मन को शांत करता है और शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक है। इस दिन तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज) और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शुद्ध रखें।

पूजा के दौरान काले वस्त्र न पहनें, क्योंकि यह धार्मिक कार्यों में अशुभ माना जाता है।

क्या न करें

शिवलिंग पर तुलसी, तिल, या केतकी के फूल न चढ़ाएं। अभिषेक के लिए शुद्ध सामग्री का उपयोग करें और पूजा में स्वच्छता का ध्यान रखें। व्रत के दौरान क्रोध, ईर्ष्या, और झूठ से बचें। मासिक शिवरात्रि 2025 में भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। विधि-विधान से पूजा, व्रत, और जागरण करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि भी लाता है। उपरोक्त पूजन विधि और शुभ मुहूर्त का पालन करके आप इस पवित्र दिन को और अधिक फलदायी बना सकते हैं। भगवान शिव की कृपा से आपका जीवन मंगलमय हो!

डिस्कलेमर:  उपरोक्त मुहूर्त सामान्य हैं और स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। पूजा से पहले अपने क्षेत्र के ज्योतिषी से सटीक समय की पुष्टि करें।

 

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