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श्वेतार्क गणपति की पूजा से मिलता है सुख और समृद्धि, जानें पूजा विधि, मंत्र जाप और लाभ

श्वेतार्क गणपति भगवान गणेश का एक विशेष और शक्तिशाली स्वरूप है, जो सफेद आक के पौधे की जड़ से प्राप्त होता है। इसकी पूजा तंत्र शास्त्र और वैदिक विधियों में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूजा से सुख, समृद्धि, आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त होती है।

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Mukesh Pandit
Swetart Ganpati
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श्वेतार्क गणपति को साक्षात् भगवान गणेश का विग्रह माना जाता है। सफेद आक का पौधा दुर्लभ होता है, और इसकी जड़ में स्वाभाविक रूप से गणेश जी की आकृति बनती है, जो इसे विशेष बनाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी पूजा से भूत-प्रेत, नजर दोष, जादू-टोना और तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। यह साधक को तत्काल सिद्धि और स्थायी समृद्धि प्रदान करता है। आयुर्वेद में भी श्वेतार्क का उपयोग चर्म रोग, पाचन समस्याओं और दांत दर्द जैसी समस्याओं के लिए किया जाता है।

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श्वेतार्क गणपति का महत्व

श्वेतार्क गणपति की पूजा एक शक्तिशाली और प्रभावी साधना है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि और बाधा निवारण का आशीर्वाद देती है। शास्त्रोक्त विधि से पूजा और मंत्र जाप करने से गणपति की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। यह पूजा न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और औषधीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। श्रद्धा और नियमितता के साथ इस साधना को अपनाकर जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रगति प्राप्त की जा सकती है।

श्वेतार्क गणपति की पूजा विधि

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श्वेतार्क गणपति की पूजा विधि शास्त्रोक्त और सरल होनी चाहिए। इसे पुष्य नक्षत्र, रविवार या गुरुवार को शुरू करना शुभ माना जाता है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:


प्रतिमा की प्राप्ति और शुद्धिकरण: श्वेतार्क गणपति की जड़ को पुष्य नक्षत्र में विधिवत खोदकर प्राप्त करें। इसे शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं। यदि जड़ में गणेश आकृति स्पष्ट न हो, तो लकड़ी से छोटी प्रतिमा बनवाएं, जो अंगूठे से बड़ी न हो।
स्थापना: एक लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाएं। उस पर कुमकुम या सिंदूर से अष्टदल बनाएं और फूल बिछाकर श्वेतार्क गणपति को स्थापित करें। प्रतिमा के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं

संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, अक्षत, फूल और सिक्का लेकर संकल्प करें। मंत्र: ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: तत्सदद्य... (अपने स्थान और समय का उल्लेख करें)। संकल्प में पूजा का उद्देश्य (सुख, समृद्धि, बाधा निवारण) स्पष्ट करें।
आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा: गणेश जी का ध्यान करें और आवाहन मंत्र पढ़ें: ॐ गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव। प्राण प्रतिष्ठा के लिए: अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।

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पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन: गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं, लाल चंदन, सिंदूर, अक्षत, लाल कनेर के फूल, दूर्वा, और बिल्वपत्र अर्पित करें। नैवेद्य में गुड़ के लड्डू या मोदक चढ़ाएं। धूप-दीप दिखाएं और एक सिक्का अर्पित करें, जिसे बाद में दान करें।

मंत्र जाप: निम्न मंत्रों का जाप करें:
बीज मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः – 108 बार या एक माला।

सिद्धि मंत्र: ॐ नमो विध्नहराय गं गणपतये नमः – दुष्ट ग्रहों की शांति के लिए।

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तंत्र मंत्र: ॐ नमो हस्ति-मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट-महात्मने आं क्रों हीं क्लीं ह्रीं हूं घे घे उच्छिष्टाय स्वाहा – सभी इष्ट सिद्धि के लिए, 10 माला।
वैदिक मंत्र: ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा – पूजन के लिए।

हवन (वैकल्पिक): यदि संभव हो, लाल कनेर के फूल, शहद और शुद्ध घी से 108 आहुति दें। मंत्र: ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।
आरती और विसर्जन: गणेश आरती करें और प्रसाद वितरित करें। लाल कनेर के फूल नदी में प्रवाहित करें, मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः।

मंत्र जाप की विधि

समय: सुबह सूर्योदय से पहले या सायंकाल में पूजा करें।
आसन: पीले या लाल आसन पर बैठें।
माला: मूंगा या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
जाप संख्या: कम से कम 1 माला (108 बार) रोज करें। विशेष सिद्धि के लिए 10 माला जाप करें।
शुद्धता: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और शुद्ध मन से जाप करें।

श्वेतार्क गणपति पूजा के लाभ

बाधा निवारण: सभी प्रकार की दैविक, भौतिक और तांत्रिक बाधाएं दूर होती हैं।
सुख-समृद्धि: घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है, और धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
स्वास्थ्य: श्वेतार्क की पूजा से रोगों से मुक्ति और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
सिद्धि: तत्काल सिद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावी है।
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: भूत-प्रेत, नजर दोष और जादू-टोना से सुरक्षा मिलती है।
आर्थिक प्रगति: नौकरी-व्यवसाय में उन्नति और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
मानसिक शांति: मंत्र जाप से चिंता कम होती है और मन शांत रहता है।
मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ये सावधानियां बरतें

श्वेतार्क गणपति की जड़ को बिना शास्त्रोक्त विधि के न काटें।
पूजा में शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें।
मंत्र जाप के दौरान उच्चारण सही हो, और मन एकाग्र रहे।
गर्भवती महिलाएं और बच्चे जड़ को सीधे न छुएं, क्योंकि यह औषधीय रूप से शक्तिशाली होता है।

 

 

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