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हिंदू सनातन धर्म में भानु सप्तमी का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य देव को समर्पित है और इसे रथ सप्तमी, अचला सप्तमी या सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। भानु सप्तमी हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन जब यह तिथि रविवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि, मान-सम्मान और करियर में सफलता प्राप्त होती है।
भानु सप्तमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भानु सप्तमी 2025 में कई बार मनाई जाएगी, लेकिन विशेष रूप से वैशाख माह की भानु सप्तमी का उल्लेख किया जाता है, जो रविवार को पड़ रही है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। वैशाख मास में ये विशेष संयोग 4 मई 2025, रविवार को बन रहा है, अतः 4 मई 2025, रविवार को 'भानु सप्तमी' मनाई जाएगी
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:23 बजे से 05:07 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:54 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 बजे से 03:22 बजे तक
रवि योग: सुबह 10:21 बजे से अगले दिन सुबह 05:51 बजे तक
इसके अतिरिक्त, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो सुबह 11:48 बजे से शाम 7:00 बजे तक रहेगा। इस योग में सूर्य पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भानु सप्तमी का महत्व
भानु सप्तमी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सूर्य का प्रकाश पहली बार धरती पर पड़ा, वह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। इसलिए इस दिन को भानु सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। सूर्य देव को नवग्रहों में प्रधान स्थान प्राप्त है, और उनकी पूजा से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। यह व्रत और पूजा स्वास्थ्य, दीर्घायु, आत्मविश्वास, और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है।
भानु सप्तमी पर सूर्य पूजा से न केवल शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आर्थिक समस्याओं का समाधान भी होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है या जो करियर और व्यवसाय में बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
भानु सप्तमी की पूजा विधि
भानु सप्तमी की पूजा विधि सरल और प्रभावी है। इसे विधि-विधान से करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र जल, यदि संभव हो तो गंगा जल या किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ, विशेष रूप से पीले या नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें।
सूर्य को अर्घ्य: तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें और उसमें लाल चंदन, अक्षत (चावल), लाल फूल, गुड़ और थोड़ा सा तिल मिलाएं। सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को जल अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का जाप करें:
ॐ घृणि सूर्याय नमः (7, 11 या 21 बार)
वैकल्पिक रूप से, ॐ आदित्याय नमः या ॐ सूर्याय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
पूजा स्थल की तैयारी: घर के पूजा स्थल को साफ करें और सूर्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
पंचोपचार पूजा: सूर्य देव को कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, गेहूं के दाने, और नैवेद्य (मिठाई या फल) अर्पित करें। सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्तोत्र, या सूर्य कवच का पाठ करें।
आरती और प्रार्थना: सूर्य देव की आरती करें और सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और सफलता की कामना करें।
व्रत का संकल्प: यदि व्रत रख रहे हैं, तो पूजा के समय व्रत का संकल्प लें। इस दिन फलाहार करें और नमक का सेवन न करें।
दान-पुण्य: पूजा के बाद ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं। गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं।
भानु सप्तमी के विशेष उपाय
भानु सप्तमी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से सूर्य देव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। ये उपाय सरल और प्रभावी हैं:
गुड़ और लाल वस्त्र का दान: भानु सप्तमी पर जरूरतमंदों को गुड़ और लाल वस्त्र दान करें। यह उपाय कारोबार में वृद्धि और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
तांबे के बर्तन का दान: स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए तांबे के बर्तन का दान करें। यह सूर्य की ऊर्जा को संतुलित करता है।
सूर्य मंदिर में दर्शन: इस दिन सूर्य मंदिर में जाकर दर्शन करें और दीपक जलाएं। यह पुण्यदायी माना जाता है।
सूर्य मंत्र जाप:
ॐ घृणि सूर्याय नमः या ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करें। यह सभी पापों से मुक्ति दिलाता है।
सात घोड़ों वाले सूर्य की तस्वीर: घर में सात घोड़ों वाले रथ पर सवार सूर्य देव की तस्वीर लगाएं। यह समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
गाय को हरा चारा: गाय को हरा चारा खिलाएं, इससे सभी रोगों का नाश होता है और आयु में वृद्धि होती है।
पवित्र नदी में स्नान: यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी या जलाशय में सूर्योदय से पहले स्नान करें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए लाभकारी है।
भानु सप्तमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव ने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर धरती पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी। इस दिन से संसार प्रकाशित हुआ और जीवन की शुरुआत हुई। इसलिए इस तिथि को सूर्य उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा और व्रत करता है, उसे सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से पूजा और उपाय करने से स्वास्थ्य, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। इस दिन सूर्य मंत्रों का जाप, दान-पुण्य, और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना विशेष फलदायी है। भानु सप्तमी के इस पावन अवसर पर सूर्य देव की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को सुखमय बनाएं।