/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/06/kFOnyCfXrEmO12wrai3y.jpg)
गर्मी के सीजन में दही का सेवन बेहद आम है। यह ठंडा और ताज़ा होता है, पाचन में सहायक माना जाता है, और प्रोबायोटिक्स का एक उत्कृष्ट स्रोत है जो आंत के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन, हर अच्छी चीज़ की तरह, दही के भी कुछ संभावित नुकसान हैं, खासकर अगर इसका सेवन गलत तरीके से या गलत लोगों द्वारा किया जाए। कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें गर्मियों में दही का सेवन करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए, या फिर इसका सेवन पूरी तरह से टालना चाहिए। खासतौर से गर्मी के मौसम में खट्टी दही खाने से जोड़ों का दर्द, एसिडिटी, पेट फूलना, एलर्जी या सेंसिटिविटी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, खट्टी दही की ठंडी तासीर शरीर में वात को बढ़ा सकती है, जिससे जोड़ों का दर्द और सूजन बढ़ सकती है।
गर्मी में दही के संभावित नुकसान
कफ और बलगम की समस्या बढ़ा सकता है: आयुर्वेद के अनुसार, दही की तासीर ठंडी होती है, लेकिन यह कफवर्धक भी होता है। गर्मियों में जब मौसम में नमी बढ़ती है, तो कुछ लोगों को पहले से ही कफ या बलगम से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में दही का अत्यधिक सेवन इन समस्याओं को बढ़ा सकता है, जिससे खांसी, जुकाम या गले में खराश हो सकती है।
एलर्जी और असहिष्णुता : कुछ लोगों को लैक्टोज असहिष्णुता होती है, जिसका अर्थ है कि उनके शरीर में लैक्टोज (दूध में पाई जाने वाली चीनी) को पचाने वाले एंजाइम की कमी होती है। ऐसे में दही का सेवन पेट में दर्द, सूजन, गैस और दस्त का कारण बन सकता है। इसके अलावा, डेयरी उत्पादों से एलर्जी वाले लोगों को भी दही से बचना चाहिए।
वजन बढ़ने का खतरा (अगर मीठा या फैट वाला हो): बाजार में उपलब्ध कई दही उत्पाद चीनी और वसा से भरपूर होते हैं। अगर आप गर्मियों में नियमित रूप से ऐसे दही का सेवन करते हैं, तो यह अनावश्यक कैलोरी जोड़ सकता है और वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है। खासकर, अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो सादे, बिना वसा वाले दही का चुनाव करना बेहतर है।
रात में सेवन से बचें: हालांकि गर्मियों में दिन के समय दही ताज़गी देता है, आयुर्वेद रात में इसके सेवन की सलाह नहीं देता है। माना जाता है कि रात में दही का सेवन शरीर में कफ और बलगम को बढ़ाता है, जिससे पाचन धीमा हो सकता है और रात में बेचैनी हो सकती है। यह जोड़ों के दर्द को भी बढ़ा सकता है, खासकर गठिया से पीड़ित लोगों में।
ये 5 लोग भूलकर भी नहीं करें दही का सेवन
जोड़ों के दर्द या गठिया से पीड़ित लोग: जैसा कि ऊपर बताया गया है, दही कफवर्धक होता है। जिन लोगों को पहले से ही जोड़ों में दर्द, सूजन या गठिया की समस्या है, उनके लिए दही का सेवन इन लक्षणों को और खराब कर सकता है। इसकी ठंडी तासीर शरीर में वात और कफ को असंतुलित कर सकती है, जिससे दर्द बढ़ सकता है।
अस्थमा या श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोग: कफ और बलगम बढ़ाने की अपनी प्रकृति के कारण, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को दही के सेवन से बचना चाहिए। यह उनके फेफड़ों में बलगम के जमाव को बढ़ा सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
एसिडिटी या पेट में अल्सर की गंभीर समस्या वाले लोग: जबकि कुछ लोगों को दही ठंडा लगता है, लेकिन इसकी अम्लीय प्रकृति कुछ लोगों में एसिडिटी को बढ़ा सकती है। अगर आपको गंभीर एसिडिटी, हार्टबर्न या पेप्टिक अल्सर की समस्या है, तो दही का सेवन आपकी स्थिति को और खराब कर सकता है।
जिन्हें लैक्टोज असहिष्णुता या डेयरी एलर्जी है: यह सबसे स्पष्ट कारण है। यदि आपको लैक्टोज असहिष्णुता का निदान किया गया है या डेयरी उत्पादों से एलर्जी है, तो दही का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसके बजाय, आप बादाम दूध दही, सोया दही या नारियल दही जैसे डेयरी-मुक्त विकल्पों का चयन कर सकते हैं।
जिन्हें अक्सर सर्दी-जुकाम या गले में खराश रहती है: यदि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें मौसम बदलते ही या ठंडा खाने से तुरंत सर्दी-जुकाम, खांसी या गले में खराश हो जाती है, तो गर्मियों में भी दही का सेवन आपके लिए समस्या खड़ी कर सकता है। इसकी ठंडी तासीर इन संक्रमणों को बढ़ावा दे सकती है।
दही एक पौष्टिक भोजन है, लेकिन सभी के लिए और हर समय नहीं। गर्मियों में दही का सेवन करते समय अपनी शारीरिक प्रकृति और मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप उपरोक्त किसी भी श्रेणी में आते हैं, तो दही का सेवन करने से पहले डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। स्वस्थ विकल्प चुनें और अपने शरीर की सुनें। Health Advice | get healthy | get healthy body | health benefits | Health Awareness