नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। इस बार NCERT ने अपने सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है। बोर्ड ने कक्षा 7वी से मुगल इतिहास और दिल्ली सल्तनत हो हटा दिया है। इतिहास की किताब से मुगल काल के संदर्भ को हटाने पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इतिहासकार अली नदीम रिजवी का कहना है कि देश का जिस तरह से माहौल चल रहा है, उसमें से मुगलों को गायब करने की कोशिश की जा रही है। इतिहास चाहे अच्छा हो चाहे बुरा हो इतिहास इतिहास होता है उसको बदला नही जा सकता है।
NCERT ने 7वी कक्षा से हटाए मुगलकाल और दिल्ली सल्तनत के चैप्टर
एनसीईआरटी की कक्षा 7वीं की इतिहास की पुस्तक को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। नई पाठ्यपुस्तक में मुगल शासकों और दिल्ली सल्तनत से जुड़े सभी प्रमुख संदर्भ हटा दिए गए हैं। उनकी जगह अब भारतीय राजवंशों, महाकुंभ, 'मेक इन इंडिया', अटल सुरंग और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे समकालीन और सांस्कृतिक विषयों को शामिल किया गया है।
इन बदलावों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और 2023 में जारी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के अनुरूप बताया गया है। लेकिन इतिहास के कुछ जानकारों और शिक्षाविदों ने इस पर चिंता जताई है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के इतिहासकार प्रोफेसर अली नदीम रिज़वी ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों को नजरअंदाज करने और इतिहास की विविधता को सीमित करने की कोशिश बताया है।
क्या मुगलों को इतिहास से बाहर करने की कोशिश हो रही है ?
प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "देश का माहौल इस तरह से बदल रहा है कि मुगलों को इतिहास से गायब करने की कोशिश की जा रही है। इतिहास चाहे अच्छा हो या बुरा, वह इतिहास होता है और उसे बदला नहीं जा सकता। हां, अगर नए तथ्य सामने आते हैं, तो उन्हें शामिल किया जा सकता है, लेकिन इतिहास से किसी भी महत्वपूर्ण संदर्भ को हटा देना सही नहीं है। प्रोफेसर रिजवी ने यह भी कहा कि इतिहास का या किसी भी विषय का सिलेबस बार-बार संशोधित किया जा सकता है, लेकिन इतिहास के कुछ पन्नों को गायब करना चिंताजनक है। उनका मानना है कि अगर नई जानकारी मौजूद है, तो उसे पाठ्यपुस्तकों में जोड़ा जा सकता है, लेकिन इतिहास के कुछ हिस्सों को हटाना या नजरअंदाज करना देश के लिए हानिकारक हो सकता है।
मुगलों के योगदान को नजरंदाज करने की कोशिश
प्रोफेसर रिजवी ने यह भी कहा कि यह बदलाव देखकर ऐसा लगता है कि मुगलों के योगदान को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की जा रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह पता न चले कि मुगलों ने देश के इतिहास और संस्कृति में क्या योगदान दिया था। उन्होंने आशंका जताई कि यह बदलाव कहीं ना कहीं उस वातावरण का हिस्सा हो सकता है, जिसमें इतिहास को फिर से लिखा जा रहा है और कुछ हिस्सों को जानबूझकर हटा दिया जा रहा है।