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CBSE का 'ऑयल बोर्ड' मिशन क्या है? स्कूलों में बच्चों की थाली पर अब नजर रखेगा बोर्ड! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारतीय स्कूलों में अब एक नया बदलाव आने वाला है, जो शायद आपके बच्चे की सेहत और उसके भविष्य को पूरी तरह से बदल दे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक क्रांतिकारी पहल की है जिसके तहत स्कूलों में 'ऑयल बोर्ड' लगाए जाएंगे। जी हां, 'ऑयल बोर्ड'! यह सुनकर थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन इसका मकसद बेहद गंभीर है - बच्चों को मोटापे और अस्वस्थ जीवनशैली के जाल से बाहर निकालना।
हाल ही में सीबीएसई निदेशक, डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह द्वारा जारी एक सर्कुलर (Circlular No: Acad-45/2025) ने इस पहल को विस्तार से समझाया है। यह नया सर्कुलर उनके पिछले निर्देश (Circular No: Acad-26/2025 Dated: 14.05.2025) का ही विस्तार है, जिसमें उन्होंने स्कूलों को छात्रों के बीच "स्वस्थ जीवन शैली अपनाने" पर जोर दिया था। लेकिन अब इस बार ‘ऑयल बोर्ड’ के जरिए हानिकारक उपभोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने का सीधा निर्देश दिया गया है।
क्या आप जानते हैं कि आज के बच्चे क्यों इतने तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं? एनसीबीएस-5 (2019-21) के आंकड़ों के मुताबिक, हर पांच में से एक वयस्क मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त है। ‘द लांसेट’ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक मोटापे और अधिक वजन वाले भारतीय वयस्कों की संख्या 2021 के 18 करोड़ से बढ़कर 44.9 करोड़ होने का अनुमान है! यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं और बच्चों पर इसका प्रभाव और भी गंभीर है। खराब खान-पान और शारीरिक निष्क्रियता को मोटापे का मुख्य कारण माना गया है।
CBSE निदेशक ने पिछले परिपत्र के क्रम में स्कूलों को 'ऑयल बोर्ड' स्थापित करने (हानिकारक उपभोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए) और छात्रों के बीच स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के संबंध में पत्र लिखा है। pic.twitter.com/jFaQxTzIGz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 16, 2025
स्कूलों की नई भूमिका : सिर्फ पढ़ाई नहीं, सेहत भी
सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि अब स्कूलों को सिर्फ अकादमिक ज्ञान ही नहीं देना है, बल्कि बच्चों की सेहत की जिम्मेदारी भी उठानी होगी। इस सर्कुलर में स्कूलों के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं:
ऑयल बोर्ड (डिजिटल/स्थैतिक पोस्टर) स्थापित करना: स्कूलों में आम जगहों जैसे कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर 'ऑयल बोर्ड' लगाए जाएंगे। इन बोर्डों पर हानिकारक उपभोग (विशेषकर अस्वास्थ्यकर भोजन और पेय) के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाली जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। यह बच्चों को यह समझने में मदद करेगा कि क्या उनके लिए अच्छा है और क्या नहीं।
आधिकारिक स्टेशनरी पर स्वस्थ संदेश: स्कूल अपने लेटरहेड, लिफाफे और नोटपैड जैसे आधिकारिक दस्तावेजों पर स्वस्थ संदेश छापेंगे। यह एक सूक्ष्म लेकिन प्रभावी तरीका है जिससे स्वस्थ जीवन शैली के महत्व को दोहराया जा सकता है।
स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना: स्कूलों को पौष्टिक, ताज़े फल, सब्जियां, कम फैट वाले विकल्प और कम चीनी वाले स्नैक्स को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, सीढ़ियों का उपयोग करने, छोटी शारीरिक गतिविधियों (जैसे ब्रेक में स्ट्रेचिंग) और चलने योग्य मार्गों को व्यवस्थित करने जैसी शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना होगा।
पायलट प्रोजेक्ट और आगे की राह
सीबीएसई ने इस पहल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ‘ऑयल बोर्ड’ के कुछ प्रोटोटाइप भी जारी किए हैं, जो अनुलग्नक-I और II में देखे जा सकते हैं। स्कूलों को इन बोर्डों को अपने अनुसार अनुकूलित करने की अनुमति होगी। इसके अलावा, प्रासंगिक आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) सामग्री जैसे पोस्टर और वीडियो, एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध होंगे।
माता-पिता की भी है भूमिका
यह सिर्फ स्कूलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें माता-पिता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। घर पर स्वस्थ भोजन बनाना, बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें अस्वस्थ स्नैक्स से दूर रखना बेहद जरूरी है। स्कूल और घर के बीच एक मजबूत तालमेल ही बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद कर सकता है।
डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह ने सर्कुलर में कहा है कि यह एक स्वस्थ स्कूल वातावरण को बढ़ावा देने और बच्चों की भलाई को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें यह याद रखना होगा कि एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मन का वास होता है, और यह देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
क्या होगा 'ऑयल बोर्ड' का असर?
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल कितनी सफल होती है। क्या 'ऑयल बोर्ड' सिर्फ एक और सर्कुलर बनकर रह जाएगा, या यह भारतीय बच्चों के स्वास्थ्य में एक वास्तविक क्रांति लाएगा? उम्मीद की जाती है कि यह पहल स्कूलों और घरों में एक नई जागरूकता लाएगी, जिससे हमारे बच्चे न केवल अकादमिक रूप से सफल हों, बल्कि शारीरिक रूप से भी स्वस्थ और मजबूत बनें।
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