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Meghalaya : सुप्रीम कोर्ट ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय पर 150 करोड़ का जुर्माना लगाया, क्या है पूरा मामला?

मेघालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय पर ₹150 करोड़ का भारी जुर्माना लगा। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने इसे वन भूमि पर अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के लिए जिम्मेदार ठहराया। समिति ने पूरे परिसर को वापस जंगल में बदलने की सिफारिश की है।

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Ajit Kumar Pandey
Meghalaya : सुप्रीम कोर्ट ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय पर 150 करोड़ का जुर्माना लगाया, क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज

Meghalaya : सुप्रीम कोर्ट ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय पर 150 करोड़ का जुर्माना लगाया, क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।मेघालय की साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय पर सुप्रीम कोर्ट की समिति ने ₹150 करोड़ का भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वन भूमि पर अवैध निर्माण और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण लगाया गया है। समिति ने पूरे परिसर को एक साल के अंदर वापस जंगल में बदलने की सिफारिश की है। इस कार्रवाई ने 'पर्यावरण बनाम विकास' की बहस को फिर से हवा दे दी है, और यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या बड़े संस्थान भी कानून से ऊपर हैं। 

इंडियन एक्प्रेस के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले साल गुवाहाटी में आई भयानक बाढ़ के लिए ustm के निर्माण को जिम्मेदार ठहराया था। 

उन्होंने इस घटना को "फ्लड जिहाद" नाम दिया और आरोप लगाया कि जंगल काटकर बनाए गए इस कैंपस ने बाढ़ की स्थिति को और बिगाड़ दिया। हालांकि, ustm ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट ने इन आरोपों की पुष्टि कर दी है। 

अवैध खनन और पर्यावरण की अनदेखी 

सीईसी की रिपोर्ट ने सिर्फ ustm पर ही सवाल नहीं उठाए, बल्कि मेघालय के री-भोई जिले में हो रहे अवैध खनन और पत्थर तोड़ने की गतिविधियों का भी पर्दाफाश किया। समिति ने इन सभी गतिविधियों को तत्काल रोकने की सिफारिश की है। 

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यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के बाद तैयार की गई थी, जिसमें मेघालय के री-भोई और पूर्वी खासी हिल्स जिलों में हो रही पर्यावरणीय गिरावट और असम पर इसके सीमा-पार प्रभाव को संबोधित करने की मांग की गई थी। 

जंगल पर अतिक्रमण: सीईसी ने पाया कि ustm का निर्माण 25 हेक्टेयर वन भूमि पर किया गया था, जिसके लिए केंद्र सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। 

पेड़ों की कटाई: रिपोर्ट के अनुसार, परिसर के निर्माण के लिए "बड़े पैमाने पर" और "अंधाधुंध" तरीके से पेड़ों की कटाई की गई। 

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कानून का उल्लंघन: ustm ने वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत आवश्यक मंजूरी नहीं ली, और 2017 में सरकार की चेतावनी के बावजूद निर्माण जारी रखा। 

क्या है सुप्रीम कोर्ट की समिति की सिफारिश? 

सीईसी की रिपोर्ट ने ustm पर 150.35 करोड़ का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। यह जुर्माना कई मदों में लगाया गया है जिसमें वन भूमि के लिए जुर्माना, पेड़ों की कटाई, पर्यावरणीय मुआवजा, भूमि की बहाली और क्षतिपूर्ति पौधरोपण शामिल हैं। 

समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जुर्माने से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल परिसर के सभी "अवैध ढांचों" को हटाने और पूरी जगह को एक साल के अंदर वापस जंगल में बदलने के लिए किया जाए। 

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