कानपुर, वाईबीएन संवाददाता (Kanpur News )
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से पीएचडी में नया विषय शामिल हो गया है। संस्थान ने अब बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। अभी तक आईआईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर ही केंद्रित रहता था लेकिन अब बायोसाइंस के छात्रों को भी पीएचडी का मौका मिलेगा। इसके चलते दो नए विषय शामिल करने के साथ पीएचडी कराने के लिए विषय के जानकार व चिकित्सकों से आवेदन भी मांगे हैं। संस्थान का उद्देश्य देश की जरूरत के अनुरूप मेडिकल उपकरण व तकनीकों का विकास करना है।
कोरोना माहामरी के समय से किए कई अनुसंधान
कानपुर आईआईटी के इंजीनियरों ने चिकित्सा के क्षेत्र के लिए उपयोगी कई अहम अनुसंधान कार्य किए हैं। कोरोना महामारी के समय आइआइटी के इंजीनियरों ने सस्ता और टिकाऊ वेंटीलेटर तैयार किया था। फेफड़ों की कार्य क्षमता को जांचनें और टीबी की जांच करने वाली डिवाइस भी बना चुके हैं। नाड़ी से रोग की पहचान करने वाले उपकरण नाड़ी पल्स और मुंह के कैंसर की जांच करने वाला मुंह परीक्षक भी बनाया है। नाड़ी पल्स बाजार में उपलब्ध है, जबकि मुख परीक्षक इसी साल लांच होगा। कृत्रिम हृदय के प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है।
बायोटेक और मेडटेक से कराएगा पीएचडी
आईआईटी कानपुर से छात्र जल्द ही बायोटेक और मेडटेक में पीएचडी कर सकेंगे। इमें मेडटेक नया विषय होगा, जिसमें मेडिकल से जुड़ी तकनीकी जानकारी को शामिल किया गया है। आइआइटी के कार्यक्रम का एक उद्देश्य बायो साइंस और बायोइंजीनियरिंग में नवाचार को बढ़ावा देना भी है।
पीएचडी कराने के लिए चिकित्सकों से मांगे आवेदन
पीएचडी कराने के लिए आइआइटी ने इस तकनीक के जानकारों व चिकित्सकों से आवेदन मांगे हैं। इस प्रोग्राम में इंजीनियर व चिकित्सक दोनों शामिल हो सकेंगे, जो छात्रों को पीएचडी कराने में मददगार होंगे। ऐसे चिकित्सकों को गेट व नेट-जेआरएफ से भी छूट दी गई है।
ये कर सकते आवेदन
बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग ने पीएचडी में आवेदन मांगे हैं। 16 अप्रैल तक आवेदन किए जा सकेंगे और साक्षात्कार नौ से 13 मई के दौरान होंगे। इस में इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री करने वाले युवा तो आवेदन कर ही सकते हैं। चिकित्सक (मेडिसिन, फार्मेसी और वेटनरी) भी आवेदन के पात्र हैं। एमटेक करने वालों को गेट या जेआरएफ स्कोर भी दिखाना होगा लेकिन एमबीबीएस कर चुके युवाओं को इससे छूट दी गई है।