Kanpur News : अब सीएसजेएमयू में सीखिए इत्र और परफ्यूम बनाने की बारीकियां, पहली बार दो वर्षीय कोर्स की हुई शुरुआत
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल आफ बेसिक साइंसेज के सभागार में शनिवार को रसायन विज्ञान विभाग और सुगंध और सुरस विकास केंद्र कन्नौज के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल आफ बेसिक साइंसेज के सभागार में शनिवार को रसायन विज्ञान विभाग और सुगंध और सुरस विकास केंद्र कन्नौज के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। “इंडस्ट्रियल प्रोस्पेक्ट आफ फ्रेगरेंस एंड फ्लैवर केमेस्ट्री फॉर यूथ” विषयक यह वर्कशाप चार सत्रों में संपन्न हुई। इसमें रसायन विभाग द्वारा फ्रेगरेंस से दो वर्षीय एमएससी की मास्टर डिग्री के बारे में जानकारी देने के साथ उपयोगिता व अवसरों पर विस्तार से बताया गया।
सीएसजेएमयू की ट्रेनिंग वर्कशाप में मौजूद छात्र। Photograph: (वाईबीएन)
Advertisment
दो वर्षीय मास्टर डिग्री के बारे में दी जानकारी
ट्रेनिंग वर्कशाप के प्रथम सत्र का शुभारंभ प्रति कुलपति सीएसजेएमयू सुधीर कुमार अवस्थी, मुख्य अतिथि प्रेसिडेंट मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश सैंडल इंडस्ट्रीज योगेश दुबे, ऑर्गेनाइजिंग चेयर निदेशक एमएसएमई एफएफडीसी कन्नौज शक्ति विनय शुक्ला, विशिष्ट अतिथि सीईओ तिरंगा अगरबत्ती नरेंद्र शर्मा, स्कूल आफ बेसिक साइंसेज के निदेशक प्रो आरके द्विवेदी, सह निदेशक डॉ अंजू दीक्षित की उपस्थिति में हुआ। शक्ति विनय शुक्ला ने सीएसजेएमयू तथा एफएफडीसी कन्नौज के संयुक्त तत्वाधान में रसायन विज्ञान विभाग द्वारा पहली बार सत्र 2025-26 से संचालित "एमएससी इन केमिस्ट्री स्पेशलाइज्ड इन फ्रेगरेंस एंड फ्लैवर केमिस्ट्री" के दो वर्षीय मास्टर डिग्री के बारे में जानकारी दी।
फ्रेगरेंस एंड फ्लैवर की उपयोगिता बताई
Advertisment
शक्ति विनय शुक्ला ने मास्टर कोर्स के महत्व तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करियर में अवसरों से विस्तार से अवगत कराया। मुख्य अतिथि योगेश दुबे ने फ्रेगरेंस एंड फ्लैवर की उपयोगिताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आज के आधुनिक युग में अस्सी प्रतिशत से अधिक लोग एसेंशियल ऑयल का प्रयोग कर रहे हैं। आज भी उद्योग एवं अकादमी के मध्य एक बड़ा अंतराल है, जिसे पूर्ण किए बिना विकसित भारत की परिकल्पना पूर्ण नहीं की जा सकती है। उन्होंने बताया कि केमिस्ट्री और कृषि क्षेत्र में विद्यार्थियों के माध्यम से शोध और उद्योग को बढ़ावा देने से आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। कृषि प्रधान देश होने के नाते स्पाइसेज तेल को बढ़ावा देना ही पड़ेगा क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार और उद्योग के भारी अवसर है।
सीएसजेएमयू की ट्रेनिंग वर्कशाप में मौजूद छात्र। Photograph: (वाईबीएन)
Advertisment
धूपबत्ती और अगरबत्ती उद्योग में अवसर
विशिष्ट अतिथि नरेंद्र शर्मा ने कार्यशाला के तीसरे सत्र में धूपबती और अगरबत्ती उद्योग के महत्व पर वक्तव्य दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को धूपबत्ती तथा अगरबत्ती के उद्योग एवं इंडस्ट्री स्टार्टअप एवं इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित किया। कहा, इस उद्योग में करियर की अपार संभावनाएं हैं, इसलिए युवाओं को आगे आना चाहिये। कार्यशाला के आयोजक रसायन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ इंद्रेश शुक्ल और डॉ धनंजय डे ने कार्यशाला की विस्तृत जानकारी सभी प्रतिभागियों को दी।
परफ्यूम बनाने की विधि बताई
सुगंध, सुरस विकास संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. ज्ञानेंद्र द्वारा टेक्निकल सत्र में युवाओं को इत्र, परफ्यूम, गुलकंद और अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इस सत्र में विद्यार्थियों ने विशेष रुचि दिखाई। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रश्मि दुबे, डा रत्ना शुक्ला द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय परिसर और महाविद्यालय के सौ से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के आयोजक डॉ इंद्रेश कुमार शुक्ला ने किया। संयोजन में विभाग के डॉ. बीपी सिंह, डॉ. मिराज जाफरी तथा डॉ पुरुषोत्तम सिंह निरंजन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।