लखनऊ, वाईबीएन नेटवर्क। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में शिक्षा की गिरती क्वालिटी को सुधारने के उद्देश्य से एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। अब यदि कोई छात्र 100 अंकों की परीक्षा में मिनीमम पासिंग मौर्क्स हासिल नहीं कर पाता, तो उसे स्कूल से बाहर कर दिया जाएगा। यह नियम खासतौर पर माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के छात्रों पर लागू किया जाएगा।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार है मूल उद्देश्य
राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और छात्रों को पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों के अनुसार, लंबे समय से यह देखा जा रहा था कि कई छात्र बिना पढ़ाई के ही पास होते जा रहे हैं, जिससे शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है।
क्या है नया नियम?
नई व्यवस्था के तहत, यदि कोई छात्र 100 अंकों की परीक्षा में न्यूनतम पासिंग मार्क्स (जैसे 33 या 35 अंक) नहीं ला पाता है, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि फेल होने वाले छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र में फिर से दाखिले के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
सरकारी बयान
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला छात्रों में अनुशासन, प्रतिस्पर्धा और मेहनत की भावना को बढ़ावा देगा। "हमारा मकसद किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि पढ़ाई को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करना है," एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
उठ रहे सवाल
हालांकि, इस फैसले पर विवाद भी शुरू हो गया है। शिक्षा विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह नियम ग्रामीण क्षेत्रों और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए कठोर साबित हो सकता है। उनका सुझाव है कि छात्रों को स्कूल से बाहर करने से पहले उन्हें विशेष कोचिंग, मार्गदर्शन और सपोर्ट देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह कदम राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को वास्तव में कितना सुधार पाता है, और छात्रों व अभिभावकों पर इसका क्या असर पड़ता है।