नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश की उच्च शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए परीक्षा और मूल्यांकन के पुराने तरीकों को अब आधुनिक और व्यावहारिक बना दिया है। नए नियमों के तहत अब छात्रों को सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर नहीं, बल्कि प्रेजेंटेशन, फील्ड वर्क और क्लासरूम परफॉर्मेंस के आधार पर नम्बर मिलेंगे।
क्या है नई व्यवस्था?
UGC के मुताबिक, एकेडमिक सेशन 2025-26 से सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में Continuous Formative Evaluation सिस्टम लागू किया जाएगा । इस नई प्रणाली के अंतर्गत छात्रों के सीखने की प्रक्रिया का मूल्यांकन केवल फाइनल एग्जाम तक सीमित नहीं रहेगा।
अब छात्रों को इन तीन प्रमुख आधारों पर नंबर दिए जाएंगे
प्रेजेंटेशन और सेमिनार: स्टूडेंट्स को विभिन्न विषयों पर कक्षा में प्रेजेंटेशन देना होगा, जिसके आधार पर उन्हें मार्क्स मिलेंगे।
फील्ड वर्क: छात्रों को कोर्स से जुड़े फील्ड वर्क में भाग लेना होगा। इससे जुड़ी रिपोर्ट और परिणाम के आधार पर मूल्यांकन होगा।
क्लास परफॉर्मेंस: कक्षा में उपस्थिति, भागीदारी और यूनिट टेस्ट जैसे निरंतर गतिविधियों के आधार पर भी अंक प्रदान किए जाएंगे।
यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की जिम्मेदारी
UGC ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक यूनिवर्सिटी और कॉलेज को अपने-अपने कोर्स के लिए मूल्यांकन का स्ट्रक्चर सत्र शुरू होने से पहले ही घोषित करना होगा। इसमें यह स्पष्ट करना जरूरी होगा कि किस माध्यम को कितनी वेटेज दी जाएगी।
मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम भी लागू
UGC की नई गाइडलाइन के तहत 4 वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की सुविधा भी दी जाएगी। छात्र किसी भी साल कोर्स छोड़ने या फिर दोबारा उसमें लौटने के विकल्प के साथ पढ़ाई जारी रख सकेंगे।ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज के लिए लाए गए नए नियमों को लेकर यूनिवर्सिटी को अपनी अकैडमिक काउंसिल और इग्जेक्यूटिव काउंसिल के जरिए जरूरी बदलाव करने होंगे। यूनिवर्सिटी को हर कोर्स के हिसाब से हाजिरी नियमों की शर्तों को भी नए सिरे से तय करना होगा। 4 साल की ग्रेजुएशन करने वाले एक साल के पीजी कोर्स के लिए एलिजिबल होंगे। वहीं 3 साल की ग्रेजुएशन करने वालों के लिए पीजी कोर्स 2 साल के लिए होगा।