नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
ह्यूस्टन विश्वविद्यालय और दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने आधिकारिक रूप से एक साझेदारी की है। जिसके तहत छात्रों को शैक्षणिक आदान- प्रदान करने और उनके करियर को आगे बढ़ाने के लिए पांच वर्षीय स्कीम की शुरुआत की है। इस समझौते से दोनों संस्थानों को वैश्विक विस्तार का मौका मिलेगा। इस समझौते को 2030 तक आगे बढ़ाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को डीटीयू के कुलपति प्रतीक शर्मा और ह्यूस्टन विश्वविद्यालय की अध्यक्ष रेणु खटोर की मंजूरी मिल चुकी है।
मिलेगी दो साल की डिग्री
इस समझौते से अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए नया रास्ता खुलेगा। इसमें छोत्रों को दो साल की डिग्री मिलेगी। ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में अकादमिक मामलों की वरिष्ठ उपाध्यक्ष डायने जेड चेस ने कहा, ‘‘हम शैक्षणिक और शोध लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक डीटीयू के साथ साझेदारी करने के लिए उत्साहित हैं''
छात्रों को मिलेंगे ये लाभ
स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम –दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र एक निश्चित समय के लिए दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर पढ़ाई कर सकते हैं।
रिसर्च कोलेबोरेशन – छात्र और प्रोफेसर मिलकर नई रिसर्च और इनोवेशन पर काम कर सकेंगे।
संयुक्त डिग्री (Dual Degree) प्रोग्राम –कुछ विशेष पाठ्यक्रमों में स्टूडेंट्स को दोनों विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त करने का मौका मिल सकता है।
इंटर्नशिप और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग – छात्रों को अमेरिका और भारत में प्रमुख कंपनियों और रिसर्च संस्थानों में इंटर्नशिप के अवसर मिल सकते हैं।
स्कॉलरशिप और फाइनेंशियल असिस्टेंस –योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति और आर्थिक सहायता भी मिल सकती है।
इस साझेदारी का महत्व
- इससे भारतीय छात्रों को अमेरिकी यूनिवर्सिटी में हाई क्वालिटी एजुकेशन पाने का मौका मिलेगा।
- दोनों देशों के छात्रों और प्रोफेसरों के बीच तकनीकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा
- छोत्रों को वर्ल्ड वाइड जॉब और एजुकेशन पाने का बेहतरीन अवसर मिलेगा।
यह साझेदारी शिक्षा और तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे दोनों देशों के छात्रों को लाभ मिलेगा।