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DevAnand Photograph: (DevAnand)
मुंबई। बॉलीवुड के सदाबहार हीरो देवानंद की पुण्यतिथि 3 दिसंबर को है। 'गाइड', 'काला पानी' और 'ज्वेल थीफ' जैसी उनकी फिल्में आज भी दर्शकों को दीवाना बनाती हैं, लेकिन उनकी असल जिंदगी के किस्से किसी फिल्म से कम नहीं थे। अपने स्टाइल और रोमांटिक अंदाज़ के लिए मशहूर देव आनंद की प्रेम कहानी भी खूब चर्चा में रही। अभिनेत्री सुरैया से उनका बेइंतहा प्यार अधूरा रह गया, क्योंकि धर्म की दीवार बीच में आ गई थी। वहीं, उन्होंने 'टैक्सी ड्राइवर' की शूटिंग के लंच ब्रेक में ही कल्पना कार्तिक से शादी करके सबको हैरान कर दिया था।
हिंदी 'सिनेमा का देव'
मालूम हो कि फिल्म इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक एक्टर आए। लेकिन, एक ऐसा कलाकार आया जो हीरो नहीं, परमानेंट इमोशन बन गया। वह न परदे से उतरा, न दिलों से। बात हो रही है धर्मदेव पिशोरीमल आनंद यानी देवानंद की, जिन्हें हिंदी 'सिनेमा का देव' भी कहा जाता है। देवानंद की पुण्यतिथि 3 दिसंबर को है। उनकी फिल्में तो अमर हैं ही, उनके जिंदगी के किस्से उससे भी ज्यादा मजेदार हैं।
एक मजेदार किस्सा
ऐसे ही एक किस्से का जिक्र अभिनेत्री शायरा बानो ने किया था। जब लेबनान में लोगों ने उन्हें गलती से शम्मी कपूर समझ लिया था, जिस पर देव साहब ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, मैं ही हूँ!" उन्होंने बताया था, "लेबनान के बालबेक में खंडहरों के बीच गाना शूट हो रहा था। वहां जुटी विदेशियों की भीड़ ने चिल्लाना शुरू कर दिया, 'शम्मी कपूर… शम्मी कपूर।' वहां 'जंगली' सुपरहिट थी और भीड़ ने देव साहब को शम्मी कपूर समझ लिया। कोई और होता तो शायद नाराज हो जाता, मगर देवानंद ने मुस्कुराते हुए हाथ हिलाया और जोर से बोले, “हां… हां… हेलो! मैं शम्मी कपूर हूं। उस दिन समझ आया कि देव साहब का दिल कितना बड़ा है।”
बायोपिक 'रोमांसिंग विद लाइफ
हर मुश्किल को स्टाइल में पार करना और फैंस को हमेशा मुस्कुराता चेहरा दिखाना, यही उनका तरीका था। उनका दिल सिर्फ बड़ा नहीं, बल्कि फैंस के लिए बेहद नाज़ुक भी था। अपनी बायोपिक 'रोमांसिंग विद लाइफ' में उन्होंने खुद लिखा कि एक छोटी-सी बीमारी के लिए लंदन जाकर गुपचुप ऑपरेशन करवाया। किसी को कानो-कान खबर नहीं हुई। वजह? मेरे फैंस मुझे कभी कमजोर या बीमार नहीं देख सकते।
खतों में इतना रोमांस
पंजाब के गुरदासपुर में पैदा हुए देवानंद फिल्मों में कदम रखने से पहले बॉम्बे के एक ऑफिस में काम करते थे और वहां बैठे अफसरों के प्रेम-पत्र पढ़ते थे। दिलचस्प बात है कि पत्नियों और प्रेमिकाओं को लिखे उन खतों में इतना रोमांस था कि उनकी सारी स्क्रिप्ट्स वहीं से तैयार होने लगीं। एक दिन एक पत्र में लिखा मिला “बस करो।” वही दो शब्द पढ़कर उन्होंने नौकरी छोड़ी और सिनेमा की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उनकी लोकप्रियता तो बस मिसाल बनती गई।
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