हरे-भरे मैदान, कलकल करती नदियां और घने जंगल यही तो वो नजारे हैं, जो फिल्मकारों को बार-बार पहलगाम की ओर खींच लाते हैं। पहलगाम, अनंतनाग जिले का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो हमेशा से हिंदी
फिल्मों की शूटिंग के लिए पसंदीदा लोकेशन रहा है। 2012 में आई यश चोपड़ा की इस रोमांटिक फिल्म में शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म के कुछ खूबसूरत सीन्स पहलगाम की वादियों में शूट किए गए. खासकर 'जिया रे' गाना, जिसमें अनुष्का का बिंदास अंदाज दिखाया गया है, उसे बैसारन की खुली वादियों में फिल्माया गया. इस गाने के जरिए दर्शकों को कश्मीर की खूबसूरती का अलग ही एहसास हुआ।
साल 2018 में मेघना गुलजार की ये जासूसी थ्रिलर फिल्म आलिया भट्ट और विक्की कौशल की दमदार परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती है। फिल्म में दिखाया गया विदाई का दृश्य पहलगाम के पास दूधपथरी इलाके में शूट किया गया था। शांत और सुरम्य वातावरण ने उस इमोशनल सीन को और भी प्रभावशाली बना दिया।
हैदर
साल 2014 में विषाल भारद्वाज की इस फिल्म ने कश्मीर की सच्चाई और दर्द को बड़े परदे पर उतारा था. शाहिद कपूर और श्रद्धा कपूर की यह फिल्म पूरी तरह कश्मीर पर आधारित थी। इसके कई सीन्स
पहलगाम में शूट हुए थे। फिल्म का फेमस गाना 'बिस्मिल' मार्तंड सूर्य मंदिर में शूट हुआ था, जो पहलगाम के रास्ते में आता है. फिल्म के क्लाइमेक्स की शूटिंग भी यहीं की गई थी।
बजरंगी भाईजान
साल 2015 में सलमान खान की इस सुपरहिट फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था। इसमें दिखाया गया बैसारन घाटी का दृश्य दरअसल पहलगाम का ही हिस्सा है, जहां फिल्म का इमोशनल गाना 'भर दे झोली मेरी' शूट हुआ था। पहलगाम की प्राकृतिक सुंदरता ने इस सीन को दर्शकों के दिल में बसाने लायक बना दिया था।
हाईवे
साल 2014 में इम्तियाज अली की इस फिल्म में आलिया भट्ट और रणदीप हुड्डा की जोड़ी नजर आई थी।फिल्म के दूसरे हिस्से में दोनों किरदार पहलगाम के पास स्थित अरु वैली पहुंचते हैं, जहां वो कुछ वक्त शांति से बिताते हैं। अरु वैली, पहलगाम से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित है और बेहद खूबसूरत जगह मानी जाती है।
बॉलीवुड की यादों के बीच अब डर का साया
जहां कभी कैमरे चलते थे, वहां अब सुरक्षाबलों की पैनी नजर है. जिस बैसारन घाटी में 'बजरंगी भाईजान' की मासूम मुन्नी दौड़ती दिखी थी, वहीं अब गोलियों की आवाज गूंज चुकी है. कश्मीर की खूबसूरती को बार-बार पर्दे पर लाने वाले इन लोकेशंस को फिर से वही रौनक मिले, यही हर सिनेप्रेमी की ख्वाहिश है। फिलहाल, फिल्में आती हैं और चली जाती हैं, लेकिन जो छवि वो लोकेशन की बना जाती हैं, वो अमर हो जाती है. पहलगाम ऐसी ही एक जगह है. जहां प्रकृति मुस्कुराती है, लेकिन अब वहीं से एक टीस भी उठ रही है. उम्मीद है, कि ये खूबसूरत वादियां फिर से सिर्फ प्यार, शांति और सिनेमाई आवाजों से गूंजेंगी।