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वेश्यालय में जन्मी सिनेमा की पहली show woman ने कैसे संगीत को अपना जीवन बनाया

भारतीय सिनेमा की शुरुआत के दौर में जब महिलाएं परदे के सामने आने से कतराती थीं, तब एक ऐसी महिला ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, जिसने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि निर्देशन और फिल्म निर्माण तक में खुद को साबित किया।

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Ranjana Sharma
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इनपुट, वाईबीएन नेटवर्क: भारतीय सिनेमा की शुरुआत के दौर में जब महिलाएं परदे के सामने आने से कतराती थीं, तब एक ऐसी महिला ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, जिसने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि निर्देशन और फिल्म निर्माण तक में खुद को साबित किया। यह कहानी है जद्दनबाई की गायिका, निर्माता, निर्देशक और सबसे बढ़कर ‘भारत की पहली शो वुमन’ के रूप में पहचानी जाने वाली एक असाधारण शख्सियत की।

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संगीत से सिनेमा तक का सफर

जद्दनबाई का जन्म 1892 के आसपास बनारस के पास मियां जान और दलीपाबाई के घर हुआ था। वह बचपन में ही अपने पिता को खो बैठीं। कठिन हालातों में पली-बढ़ीं जद्दनबाई ने कम उम्र में ही संगीत की ओर रुख किया और जल्द ही अपनी प्रतिभा से लोगों को प्रभावित किया। बाद में वे कलकत्ता चली गईं, जहां उन्होंने  गणपत राव (भैय्यासाहब सिंधिया) के संरक्षण में गायन सीखा। उनकी मृत्यु के बाद जद्दनबाई ने उस्ताद मोइनुद्दीन खान और उस्ताद लाब खान से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखीं। समय के साथ उन्होंने गायिका और तवायफ के रूप में खासी लोकप्रियता हासिल की और अपनी मां से भी बड़ी कलाकार बन गईं।

सिनेमा में सशक्त दस्तक

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लाहौर की प्ले आर्ट फोटो टोन कंपनी ने जब उन्हें फिल्मों में अभिनय का प्रस्ताव दिया, तो जद्दनबाई ने परदे पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी। अभिनय में कुछ समय बिताने के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण की ओर रुख किया और "संगीत फिल्म्स" नाम से अपनी प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना की। 1935 में उन्होंने तलाश-ए-हक फिल्म को फाइनेंस किया, जिसमें अपनी छोटी बेटी नरगिस को बतौर बाल कलाकार लॉन्च किया। पत्रकार यासर उस्मान के अनुसार बीबीसी की रिपोर्ट में जद्दनबाई को 'भारत की पहली शो वुमन' कहा गया है, क्योंकि वे अभिनय निर्देशन और निर्माण तीनों में सक्रिय थीं, जैसे आगे चलकर राज कपूर ने किया।

तीन शादियां, तीन कहानियां

जद्दनबाई का निजी जीवन भी उनके पेशेवर सफर की तरह ही चर्चित रहा। उन्होंने तीन बार शादी की और हर रिश्ते के पीछे एक दिलचस्प कहानी रही। पहली बार वे नरोत्तमदास खत्री एक अमीर गुजराती हिंदू व्यापारी के प्रेम में पड़ीं। दोनों ने विवाह किया जिसके लिए खत्री ने इस्लाम धर्म अपना लिया। हालांकि यह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चला और दोनों का तलाक हो गया। इस विवाह से उनका बेटा अख्तर हुसैन हुआ। दूसरी शादी उन्होंने शास्त्रीय संगीतकार उस्ताद इरशाद मीर खान से की जिनसे उन्हें बेटा अनवर हुसैन हुआ जो आगे चलकर अभिनेता बने।

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तीसरी शादी 

तीसरी शादी जद्दनबाई ने मोहनचंद उत्तमचंद त्यागी से की जिन्होंने शादी के लिए इस्लाम धर्म अपनाया और इस रिश्ते से बेटी नरगिस का जन्म हुआ। नरगिस बाद में भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बनीं और अभिनेता सुनील दत्त से विवाह किया। उनके तीन बच्चे प्रिया दत्त, नम्रता दत्त और संजय दत्त हैं, जिनमें संजय दत्त हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार बने और प्रिया दत्त राजनीति में सक्रिय हुईं।

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