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फादर्स डे पर भावुक हुए शिवम खजुरिया, 'पापा मुझे अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाया करते थे'

'अनुपमा' फेम शिवम खजूरिया ने अपने दिवंगत पिता से जुड़ी कुछ खास बचपन की यादें आईएएनएस संग साझा की। उन्होंने बताया कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके साथ बिताया एक पल आज भी उनके दिल के बहुत करीब है।

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YBN News
Shivam Khajuria
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फादर्स डे के मौकेपर, 'अनुपमा' फेम शिवम खजूरिया ने अपने दिवंगत पिता से जुड़ी कुछ खास बचपन की यादें आईएएनएस संग साझा की। उन्होंने बताया कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके साथ बिताया एक पल आज भी उनके दिल के बहुत करीब है।

मेरे पापा ने मुझे ईमानदारी, और मेहनत का महत्व सिखाया

शिवम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मेरे पापा ने मुझे ईमानदारी, विनम्रता और मेहनत का महत्व सिखाया। ये तीनों बातें मैंने हमेशा अपने जीवन और करियर में अपनाई हैं। मेरे पापा के साथ कई यादगार पल हैं, लेकिन एक खास याद मेरे दिल के बहुत करीब है, जब मैं छोटा था, तो पापा मुझे अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाया करते थे। मेरे लिए ये बहुत मायने रखता था। यह एक खूबसूरत याद है, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखूंगा।"

"मुझे अपने पापा पर बहुत गर्व

उन्होंने कहा, "मुझे अपने पापा पर बहुत गर्व है और मैं उनका दिल से आभारी हूं। उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। चाहे कोई दुख या तनाव हो, उन्होंने कभी अपने चेहरे पर शिकन तक आने नहीं दी। वह जिंदादिल इंसान थे, और उनकी वही ऊर्जा आज भी मुझे प्रेरणा देती है।"

सोचने का तरीका मेरे पापा से ही आया 

आईएएनएस ने जब शिवम से उनके अभिनय शैली और किरदार पर उनके पापा के प्रभाव के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे पापा ने मेरी अभिनय शैली को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। लेकिन जब मैं कोई किरदार निभाता हूं, तो अक्सर उन लोगों की झलक उसमें आती है जिन्हें मैंने अपने जीवन में देखा है और उनमें मेरे पापा भी शामिल हैं। एक्टर के तौर पर मैं अपने आसपास के लोगों की बातें, आदतें और स्वभाव को नोटिस करता हूं। लेकिन असली जिंदगी में, मेरी बहुत-सी आदतें और सोचने का तरीका मेरे पापा से ही आया है।"

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अपने दिवंगत पिता की याद आ गई

शिवम ने एक ऐसे सीन के बारे में बताया, जिसको शूट करते हुए उन्हें अपने दिवंगत पिता की याद आ गई। उन्होंने बताया, "यह बहुत भावुक पल था। इस सीन में एक पिता और बेटी के बीच झगड़े को दिखाया जा रहा था। सीन करते वक्त मुझे अपने पापा की याद आ गई, और मैं अंदर से बहुत भावुक हो गया था।" उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से मेरे पापा दस साल पहले चल बसे, इसलिए मैं कभी अपने काम को लेकर उनके क्या विचार थे, ये नहीं सुन पाया। लेकिन मुझे लगता है कि मेरे सही करने पर वह मुस्कुराते हैं और जहां मैं गलत होता हूं, तो मुझे आशीर्वाद दे सही रास्ता दिखाते हैं।"

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