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tusharkapoor Photograph: (ians)
मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्होंने अपने अभिनय कौशल से अलग पहचान बनाई, उनमें से एक हैं तुषार कपूर। बिना संवाद बोले केवल एक्सप्रेशन, बॉडी लैंग्वेज और कॉमिक टाइमिंग के सहारे तुषार ने ऐसा कमाल किया कि दर्शक हंसी से लोटपोट हो उठे। ‘गोलमाल’ फिल्म में उनके मूक किरदार ‘लकी’ ने दर्शकों के बीच जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की।
बेहतरीन कॉमिक परफॉर्मेंस
इस किरदार ने साबित किया कि अभिनय सिर्फ शब्दों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि भावनाओं और प्रस्तुतिकरण पर आधारित होता है। ‘गोलमाल’ सीरीज में उनके इस साइलेंट रोल को आज भी सबसे बेहतरीन कॉमिक परफॉर्मेंस में गिना जाता है। एक साइलेंट कैरेक्टर को इतनी सफलता मिलना कम ही देखने को मिलता है। गोलमाल के सभी हिस्सों में तुषार लकी के रूप में दिखाई दिए और फिल्म का पूरा मजा कई बार उनके किरदार पर ही टिक जाता था।
बॉलीवुड में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो किसी एक खास किरदार से लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेते हैं। तुषार कपूर भी उन्हीं चेहरों में से एक हैं। यूं तो उनके लिए ये फिल्मी दुनिया नई नहीं थी, लेकिन सफर आसान भी नहीं था। उन्होंने शुरुआत में बतौर हीरो काफी कोशिशें की, कई फिल्में की, कुछ फ्लॉप रहीं तो कुछ ने सफलता हासिल की, लेकिन जैसे ही उन्होंने 'गोलमाल' में बिना डायलॉग के 'लकी' का किरदार निभाया, लोग उनकी कॉमिक टाइमिंग और चेहरे के एक्सप्रेशन के दीवाने हो गए। इसी किरदार ने उन्हें बॉलीवुड के उन गिने-चुने कलाकारों में शामिल कर दिया, जिन्होंने बिना बोले साइलेंट कैरेक्टर को पहचान दिलाई।
फिल्मफेयर अवार्ड 'बेस्ट डेब्यू'
तुषार कपूर का जन्म 20 नवंबर 1976 को मुंबई में हुआ। वे मशहूर अभिनेता जितेंद्र और निर्माता शोभा कपूर के बेटे हैं। बचपन से ही उनका माहौल पूरी तरह फिल्मी था, लेकिन पढ़ाई-लिखाई पर भी उतना ही ध्यान दिया गया। उन्होंने मुंबई के स्कूलों में पढ़ाई की और फिर आगे की शिक्षा अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से पूरी की। विदेश से लौटने के बाद एक्टिंग का रास्ता उन्होंने खुद ही चुना। अपने अभिनय को निखारने के लिए उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग भी ली और मशहूर हस्तियों से अभिनय सीखा।
साल 2001 में तुषार कपूर ने करीना कपूर के साथ फिल्म 'मुझे कुछ कहना है' से बॉलीवुड में कदम रखा। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और तुषार को उनका पहला ही फिल्मफेयर अवार्ड 'बेस्ट डेब्यू' के लिए मिला। किसी भी नए अभिनेता के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी। इस सफलता के बाद उन्होंने कई फिल्में की, 'क्या दिल ने कहा', 'कुछ तो है', 'जीना सिर्फ मेरे लिए'… लेकिन इनमें से ज्यादातर फिल्मों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया।
करियर की असली चमक
बड़े स्टार परिवार से होने के बावजूद लगातार फ्लॉप फिल्मों ने तुषार के करियर को झटका जरूर दिया, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ।करीब पांच साल के संघर्ष के बाद उनके करियर की असली चमक 2006 में आई, जब रोहित शेट्टी ने उन्हें फिल्म 'गोलमाल' में 'लकी' के किरदार के लिए चुना। यह रोल किसी भी कलाकार के लिए कठिन था क्योंकि इसमें आवाज नहीं थी, सिर्फ चेहरे के हाव-भाव थे। लेकिन तुषार ने इसे इतने मजेदार तरीके से निभाया कि लोग थिएटर में सीटियां बजाने लगे।
साइलेंट कैरेक्टर
एक साइलेंट कैरेक्टर को इतनी सफलता मिलना कम ही देखने को मिलता है। गोलमाल के सभी हिस्सों में तुषार लकी के रूप में दिखाई दिए और फिल्म का पूरा मजा कई बार उनके किरदार पर ही टिक जाता था। इसके अलावा, तुषार ने कई मल्टीस्टारर फिल्मों जैसे 'खाकी', 'शूटआउट एट वडाला', 'द डर्टी पिक्चर' और 'क्या सुपर कूल हैं हम' में भी काम किया। इनमें उनकी कॉमिक टाइमिंग को खूब सराहा गया। हालांकि बतौर लीड अभिनेता उन्हें कभी वह सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने इस कमी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। समय के साथ उन्होंने खुद को निर्माता के रूप में भी आगे बढ़ाया और अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' को प्रोड्यूस किया।
निजी जिंदगी
तुषार की निजी जिंदगी भी कम दिलचस्प नहीं है। उन्होंने बिना शादी किए आईवीएफ के जरिए बेटे लक्ष्य का स्वागत किया और बॉलीवुड के पहले सिंगल फादर्स में शामिल हो गए।
(इनपुट-आईएएनएस)
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