नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
अंत्योदय' के प्रणेता, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 56वीं पुण्यतिथि उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि गई है। लखनऊ में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के अन्य शीर्ष नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। योगी ने कहा कि भारतीय जन संघ पार्टी के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक, उत्कृष्ट संगठनकर्ता, एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय दर्शन के प्रणेता थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पं दीन दयाल उपाध्याय की परिकल्पना को धरती पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी।
गरीबों व शोषितों के हितचिंतक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट में लिखा है-पं. दीन दयाल उपाध्याय समाज के अंतिम पायदान पर खड़े गरीबों, शोषितों, वंचितों के उत्थान और स्वावलंबी भारत के निर्माण हेतु समर्पित उनका संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए पाथेय है। प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, 'अंत्योदय' एवं 'एकात्म मानववाद' के प्रणेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
पीएम ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा, हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। एक्स पर पोस्ट में लिखा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऐसे ऋषि-राजनेता रहे जिन्होंने राजनैतिक चिंतन के लिए एकात्म मानवदर्शन का सूत्र दिया और शासन की नीतियां बनाने का मार्ग प्रशस्त किया. दीनदयाल जी जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्र जीवन दर्शन के दृष्टा हैं. पंडित जी द्वारा लगाए गए जनसंघ के पौधे का विस्तार विचार के रूप में देश ही नहीं दुनिया में भी हुआ है. उन्होंने एक ऐसी राजनैतिक धारा निर्मित की जिसका लक्ष्य राष्ट्र निर्माण है. उनका मानना था कि राजनीति सत्ता के लिए नहीं अपितु समाज की सेवा के लिए हो, स्वतंत्रता के साथ भारत राष्ट्र की यात्रा भारतीय दर्शन के अनुरूप होनी चाहिए।
राष्ट्र निर्माण और भविष्य की संकल्पना
पंडित दीनदयाल जी ने राष्ट्र निर्माण और भविष्य की संकल्पना को लेकर गहन चिंतन किया, जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुरूप राष्ट्र की चित्ति से विराट तक की कल्पना थी। उनके विकास का आधार एकात्म मानव दर्शन है। इसमें संपूर्ण जीवन की रचनात्मक दृष्टि समाहित है। उन्होंने विकास की दिशा को भारतीय संस्कृति के एकात्म मानवदर्शन के मूल में खोजा। पंडित दीनदयाल जी की परिकल्पना को धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। दीनदयाल जी का मानना था कि अर्थव्यवस्था जितनी विकेन्द्रीकृत होगी उतनी नीचे तक जाएगी और यही स्वदेशी भाव के साथ सृजन का आधार होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत के आर्थिक विकास को लेकर जो कदम उठाये जा रहे हैं उसके मूल में दीनदयाल जी का अर्थदर्शन ही है। पंडित दीनदयाल जी ने भारत की कृषि, उद्योग, शिक्षा और आर्थिक नीति कैसी हो इन सबका विस्तार में उल्लेख किया है।