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जंग-ए-आजादी के नायक Dr. Mukhtar Ahmed Ansari "हिन्दू-मुस्लिम एकता के सेतु", जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आजीवन कुलाधिपति

25 दिसंबर 1880 को जन्मे डॉ. अंसारी ने मेडिकल की पढ़ाई मद्रास और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में पूरी की, और लंदन के प्रतिष्ठित अस्पतालों में सर्जन के रूप में कार्य किया।

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Jyoti Yadav
Dr. Mukhtar Ahmed Ansari
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मुहम्मद साजिद | आज 10 मई को हम एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि अर्पित (खिराज-ए-अकीदत पेश) कर रहे हैं। जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, चिकित्सा, शिक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द के क्षेत्र में (शानदार) अनुकरणीय कार्य किए। डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। वे एक ऐसे राष्ट्रसेवक थे, जिन्होंने न केवल आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श भी स्थापित किए। यूपी के पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद की मिट्टी में जन्म लेने वाले डॉ.मुख्तार अहमद अंसारी की चमक लंदन तक थी, लेकिन भारत के हो गए। 25 दिसंबर 1880 को जन्मे डॉ. अंसारी ने मेडिकल की पढ़ाई मद्रास और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में पूरी की, और लंदन के प्रतिष्ठित अस्पतालों में सर्जन के रूप में कार्य किया। लेकिन जब भारत मां (मुल्क) ने पुकारा, तो उन्होंने सुख-सुविधाओं को त्यागकर स्वतंत्रता संग्राम की कठिन राह चुनी।

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कांग्रेस और मुस्लिम लीग का एक साथ किया नेतृत्व 

वह भारतीय राजनीति के दुर्लभ नेताओं में से थे। जिन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों का नेतृत्व किया। 1916 के लखनऊ समझौते में उनकी निर्णायक भूमिका ने हिंदू-मुस्लिम एकता का सेतु बनाया। वे खिलाफत आंदोलन के अग्रणी नेता थे और महात्मा गांधी के विश्वासपात्र सहयोगी भी। उनका निवास स्थान ‘दारुस्सलाम’, स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था। यहां से अनेक क्रांतिकारी विचारों ने जन्म लिया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई और मृत्यु तक इसके कुलाधिपति रहे। उन्होंने अपनी सम्पत्ति और जीवन इस संस्था और स्वतंत्रता संग्राम के नाम कर दी। उनका यह त्याग अद्वितीय है।

राजनेता नहीं, विज्ञान और चिकित्सा के पुरोधा

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डॉ. अंसारी केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक विज्ञान और चिकित्सा के पुरोधा भी थे। यूरोप में उन्होंने मूत्र रोग और टेस्टिस ट्रांसप्लांटेशन पर शोध किया और 700 से अधिक सफल ऑपरेशन किए। उनकी पुस्तक "Regeneration of Man" आज भी चिकित्सा दर्शन का उदाहरण है। 10 मई 1936 को जब उन्होंने अंतिम सांस ली, तब वे दिल्ली की ओर यात्रा कर रहे थे। देश की सेवा करते हुए ही उनका निधन हुआ। उनकी समाधि (कब्र) जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में स्थित है, जहां आज भी उनके विचारों की गूंज सुनाई देती है।

राष्ट्रनिर्माण, एकता और ज्ञान का पैगाम

डॉ.मुख्तार अहमद अंसारी के परिवार के अनेक सदस्य स्वतंत्रता संग्राम, उपराष्ट्रपति, संसद, राज्यपाल पद और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे। हालांकि, उनके कुछ वंशजों का राजनीतिक जीवन विवादों से घिरा रहा, फिर भी डॉ. अंसारी की मूल आत्मा राष्ट्रनिर्माण, एकता और ज्ञान की रही है। आज जब देश अनेक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक चुनौतियों से जूझ रहा है, तब डॉ. अंसारी जैसे विचारकों का स्मरण और अधिक आवश्यक हो जाता है। उनकी पुण्यतिथि पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनकी तरह विचार, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा से प्रेरणा लेकर भारत को उनके सपनों का समावेशी, प्रगतिशील और उदार राष्ट्र बनाएँ।

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गाजीपुर के यूसुफपुर गांव में लिया जन्म

डॉ.मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, चिकित्सक और शिक्षाविद थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1880 को यूपी के मोहम्दाबाद के यूसुफपुर गांव में हुआ था। ट्रेन से दिल्ली जाते समय 10 मई 1936 को दिल का दौरा पड़ने से निधन (इंतकाल), उनकी जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली परिसर में कब्र है। उनका परिवार काजी और जमींदार वर्ग से था। वह अब्दुल्ला अंसारी (हेरात के सूफी संत) के वंशज थे। उनकी बेटी ज़ोहरा अंसारी भी स्वतंत्रता सेनानी थी। बेटे फरीदुल हक अंसारी राज्यसभा सांसद, शौकतुल्ला शाह अंसारी – सांसद और ओडिशा के राज्यपाल थे। अब्दुल अज़ीज़ अंसारी स्वतंत्रता सेनानी, अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं, तो वहीं पूर्व विधायक मरहूम मुख्तार अंसारी विवादास्पद नेता थे। देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी रिश्तेदार हैं। 
 

लंदन के चेरिंग क्रॉस अस्पताल में "अंसारी वार्ड" 

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डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी विक्टोरिया स्कूल (हैदराबाद) मद्रास मेडिकल कॉलेज से एम.डी. और एम.एस की डिग्री ली। उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सर्जरी (CHM), 1910,लंदन लॉक अस्पताल और चेरिंग क्रॉस अस्पताल में कार्य किया, चेरिंग क्रॉस अस्पताल में उनके नाम पर एक "अंसारी वार्ड" भी है। इसके साथ ही दिल्ली में अंसारी रोड भी है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया को दान की संपत्ति

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय मुस्लिम लीग के 1927 से 28) तक अध्यक्ष रहे थे। 1916 के लखनऊ समझौते में अहम भूमिका, खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता, बॉल्कन युद्धों के दौरान घायल तुर्क सैनिकों के लिए भारतीय चिकित्सा मिशन का नेतृत्व, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापक और 1928 से 1936 तक कुलाधिपति, यूरोप में मूत्र रोग विशेषज्ञों के साथ मिलकर टेस्टिस ट्रांसप्लांटेशन पर शोध किया, 700 से अधिक ऑपरेशनों का रिकॉर्ड, अपनी पुस्तक "Regeneration of Man" प्रकाशित की, जिसे उन्होंने महात्मा गांधी को समर्पित किया। दिल्ली स्थित उनका निवास "दारुस्सलाम" आवास कांग्रेस गतिविधियों का केंद्र रहा, अपनी संपत्ति स्वतंत्रता संग्राम व जामिया मिल्लिया को समर्पित कर दी।

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