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अनिल सिंह, अध्यक्ष सृजन संस्था
एवं मदन राम चौरसिया उपाध्यक्ष
पर्यावरणादिनस्य सुभाषयाः प्रकृतिरेव शरणम्।.
विश्व पर्यावरण दिवस हमारे सामने आने वाले पर्यावरणीय चुनौतियां जैसे प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग, जलवायु परिवर्तन , और जैव विविधता के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में संपूर्ण विश्व का 2.4% भूभाग है। पूरे विश्व के 17.5% आबादी यहां रहती है। 8.1% जैव विविधता पाई जाती है। जो विश्व के भूभाग की तुलना में काफी समृद्ध है। भारत में वनावरण और वृक्षारोपण 25.17 % यानी 8.27 लाख वर्ग किमी है । उत्तर प्रदेश में वनावरण व वृक्षावरण 9.96% है। इसी पृथ्वी पर 15 खरब पेड़ पौधे, 20 क्विंटीलियन जीव जंतु एवं 810 करोड़ मनुष्य एक साथ रहते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्टडी रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण 92% रोड डस्ट है। जिससे उड़ने वाले धूल धुआं में मुख्यतः वायु प्रदूषक PM10 और PM 2.5 उत्सर्जित होता है। इनका हवा में घनत्व 40 माइक्रोग्राम प्रति घoमीo होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है। हरियाली से आच्छादित बीएचयू परिसर मैं AIQ, PM 2.5 का घनत्व 24 माइक्रोग्राम प्रति घन मी. है। जो सभी मॉर्निंग वॉकर्स के लिए स्वास्थ्यप्रद है। वाराणसी का वर्तमान AQI का स्तर 50 से कम है। जो स्वास्थ्य के लिए ठीक है।
एक औसत वृक्ष 25 kg प्रति वर्ष CO2 अवशोषित करता है।
पृथ्वी के ट्रॉपिकल वन 20% CO2 अवशोषित करते हैं ।समुद्री सूक्ष्म वनस्पतियां 30% CO2 कैप्चर करती हैं। शेष CO2 समुद्र की सतह व वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जिससे धरती का औसत तापमान 15 से.बना रहता है।
महोगनी वृक्ष 296 किलो CO2 प्रतिवर्ष अवशोषित करता है। अमेरिकी महाद्वीप में पाए जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा वृक्ष मैमथ या जायंट सेक्युओया वातावरण से 5.3 टन CO2 प्रतिवर्ष अवशोषित करने की क्षमता है।अपने जीवन काल में यह वृक्ष 1400 टन CO2 अवशोषित करता है। वर्षा वन पृथ्वी पर 28% O2 का उत्पादन करते हैं। 50% O2 समुद्री फाइटोप्लैकटान ,शैवाल, ग्रासेस, सूक्ष्म वनस्पतियों से उत्पादित होता है।
नासा की रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति 0.84 kg. शुद्ध O2 प्रतिदिन ग्रहण करता है तथा 306 kg. प्रतिवर्ष ग्रहण करता है । एक औसत वृक्ष प्रतिवर्ष 118 kg. O2 छोड़ता है। इस प्रकार एक व्यक्ति के आजीवन सासों के लिए दो वृक्षों का वृक्षारोपण एवं संरक्षण आवश्यक है।
शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण हेतु 20% क्षेत्र ही उपलब्ध हो पाता है। किंतु वाराणसी शहर के कुल क्षेत्रफल 112 वर्ग किमी में अभी तक 10% क्षेत्रों में ही वृक्षारोपण पूर्ण हो सका है। वर्तमान में वाराणसी शहर की आबादी लगभग 18 लाख है। और लगभग 18 लाख ही वृक्ष भी शहर में विद्यमान है। जबकि प्रत्येक नागरिक को आजीवन सांस के लिए कम से कम दो वृक्षों का वृक्षारोपण एवं संरक्षण आवश्यक है। प्रत्येक नागरिक अपने मकान की बाउंड्री वॉल व दीवाल पर डस्ट अवशोषित करने वाले क्रीपर पौधों का रोपण करें एवं वर्टिकल गार्डनिंग सिस्टम विकसित कर ग्रीन हाउस बनाया जाए। एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार मकान के बाउंड्री वॉल एवं बाहरी दीवाल पर क्रीपर पौधों का रोपण करने से 500 वर्ग फीट क्षेत्र में हरियाली हो गई तो दो वृक्ष के लीफ सर्फेस के बराबर वायु प्रदूषण अवशोषित करेगा। और ऑक्सीजन भी उत्सर्जित करेगा। Environmental Friendly | environmental awareness | Environmental Issues | environment awarness | india environmental news
वाराणसी जैसे प्राचीन सघन शहर में लगभग 2.53 लाख भवन
वाराणसी जैसे प्राचीन सघन शहर में लगभग 2.53 लाख भवन मौजूद हैं। जिनकी बाहरी दीवारों व बाउंड्री वॉल पर यदि 8 से 10 वृक्षों के लीफ सर्फेस के बराबर क्रीपर पौधों की हरियाली हो जाए तो लगभग 20 लाख वृक्षों के बराबर हरियाली उपलब्ध हो जाएगी। जो शहर को प्रदूषण रहित एवं तापमान कम करने हेतु सार्थक सिद्ध होगा । स्कंद पुराण के अनुसार 100% से 80% तक CO2 अवशोषित करने वाले वृक्ष पीपल ,नीम , बरगद,इमली कपित्थ ,बेल , आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं सुजलाम सुफलाम पर्यावरण देने का प्रयत्न करें।सभी नागरिकों को वायु प्रदूषकों को अवशोषित करने , शुद्ध हवा तथा घरों को ठंडा करने के लिए इंडोर एवं आउटडोर पौधों का रोपण करते रहना चाहिए।
घरों के पास वायु प्रदूषक , डस्ट आदि सोखकर शुद्ध हवा देने वाले इनडोर पौधे सॉन्ग ऑफ़ इंडिया, जेड प्लांट, क्रासुलेरिया,अरेका पाम, बंबू पाम, रबर प्लांट, डेट पॉम,मनी प्लांट, ड्रेसिना, एलोवेरा, ड्रैगन ट्री ,सिंगोनियम, फ़िलोडेंड्रेन,स्नेक प्लांट, डेंड्रोबियम ऑर्किड ,स्पाइडर प्लांट , एंथोरियम, क्रोटन, पॉइंसेटिया ,कलोची प्लांट, कोलियस ,इंग्लिश आईबी आदि हैं। इनडोर प्लांट में 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पौधे मनी प्लांट, तुलसी, एरिका पाम ,स्नेक प्लांट, अगलोनिमा, पीस लिली, एलोवेरा तथा आउटडोर बड़े वृक्षों में पीपल, नीम ,बरगद एवं आंवला पौधे हैं। मकान की बाहरी दीवारों व बाउंड्री वॉल पर वर्टिकल गार्डनिंग क्रीपर पौधे थनबर्गिया , कैमेलिया, आईपॉमिया, वॅरोनिया ,बिगोनिया वेनिस्ता,ब्लू मॉर्निंग ग्लोरी, अपराजिता, मनी प्लांट, कर्टन क्रीपर ,पैशन फ्लावर ,मधु मालती, अलमांडा ,गार्लिक क्रीपर ,ट्रंपेट क्रीपर आदि मुख्य है।
भारत ने 2070 तक कार्बन न्यूट्रल देश बनाने का लक्ष्य रखा है। पेरिस समझौते के अनुसार भारत में भी कार्बन क्रेडिट परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उत्सर्जन को कम करने वाली परियोजनाएं जैसे नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वनस्पति प्रबंधन में बदलाव ,वृक्षारोपण आदि में निवेश किया जाता है । हर 1 टन CO2 के बराबर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या हटाने के लिए एक कार्बन क्रेडिट मिलता है । इस प्रकार 40 वृक्ष संयुक्त रूप से 1 टन CO2 अवशोषित करेगा। जिससे एक कार्बन क्रेडिट प्राप्त होगा। 1 हेक्टेयर में वन क्षेत्र स्थापित करने पर 50 कार्बन क्रेडिट प्राप्त होगा।
यदि जीवाश्म ईंधन कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र से 1000 यूनिट बिजली उत्पादन में 93 टन CO2 का उत्सर्जन होता। किंतु नवीकरण सौर ऊर्जा उत्पादन से
1000 सोलर यूनिट से 93 कार्बन क्रेडिट मिल सकता है। 2024 में एक कार्बन क्रेडिट का औसत मूल्य 40 डॉलर से 80 डॉलर के बीच रहा है। कार्बन क्रेडिट का मूल्य बाजार की आपूर्ति एवं मांग , तथा परियोजना के प्रकार पर निर्भर होता है। भारत में कार्बन क्रेडिट की कीमत आमतौर पर ₹400 से ₹700 प्रति टन तक होती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक कार्बन क्रेडिट योजना शुरू की है। जिसके तहत किसानों को पेड़ लगाकर और कार्बन क्रेडिट प्राप्त करके अतिरिक्त आय में वृद्धि करने का अवसर मिल रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस की तैयारी के तहत केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने के लिए वन नेशन वन मिशन अभियान की शुरुआत किए हैं। जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ के तहत जनभागीदारी को बढ़ावा देगा। मिशन लाइफ की गतिविधियां 7 विषय पर केंद्रित होगी । ऊर्जा बचाओ ,जल बचाओ, एकल उपयोग प्लास्टिक को ना कहो, टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को अपनाओ, कचरा,अपशिष्ट को कम करो , ई कचरा कम करो और स्वस्थ जीवन शैली अपनाओ।