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Accident : लिफ्ट नंबर दो में फंसे चार वकील सहित 9 लोग, अदालत में मचा हड़कंप

गाजियाबाद के राजनगर स्थित जिला न्यायालय परिसर में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब अदालत भवन की लिफ्ट नंबर दो अचानक खराब हो गई और उसमें चार अधिवक्ताओं समेत कुल नौ लोग फंस गए । लिफ्ट के अचानक बंद हो जाने से लिफ्ट के भीतर मौजूद लोग घबरा गए और मदद के लिए शोर

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Syed Ali Mehndi
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न्यायालय में अटकी लिफ्ट

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

गाजियाबाद के राजनगर स्थित जिला न्यायालय परिसर में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब अदालत भवन की लिफ्ट नंबर दो अचानक खराब हो गई और उसमें चार अधिवक्ताओं समेत कुल नौ लोग फंस गए । लिफ्ट के अचानक बंद हो जाने से लिफ्ट के भीतर मौजूद लोग घबरा गए और मदद के लिए शोर मचाना शुरू कर दिया।

अधिवक्ताओं ने दिखाई तत्पर्यता 

घटना की सूचना मिलते ही परिसर में मौजूद सुरक्षाकर्मी, अन्य वकील और स्टाफ मौके पर पहुंचे। लिफ्ट के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए लिफ्ट का दरवाजा तोड़ना पड़ा। करीब 15 से 20 मिनट की मशक्कत के बाद सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हालांकि किसी को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन सभी लोग घटना से बुरी तरह सहम गए।

झटके से रुकी लिफ्ट 

लिफ्ट में फंसे अधिवक्ताओं ने बताया कि लिफ्ट अचानक झटके से रुकी और उसके बाद सभी बटन काम करना बंद कर गए। वहां न तो कोई अलार्म सिस्टम सक्रिय था और न ही लिफ्ट ऑपरेटर उपलब्ध था। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि पूरे न्यायालय परिसर में कोई लिफ्ट मैन मौजूद नहीं था जो इस आपात स्थिति में सहायता कर सके। घटना के बाद अधिवक्ताओं में भारी रोष देखा गया। उन्होंने जिला न्यायालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इतने बड़े परिसर में नियमित रूप से लिफ्टों की जांच न होना बेहद खतरनाक है। एक वकील ने कहा, “अगर समय पर लोग न आते तो किसी की जान भी जा सकती थी। हम हर दिन इस लिफ्ट का उपयोग करते हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।

तकनीकी जांच ज़रूरी 

अधिवक्ताओं ने मांग की है कि न्यायालय प्रशासन तुरंत लिफ्टों की तकनीकी जांच करवाए और स्थायी रूप से लिफ्ट मैन की नियुक्ति सुनिश्चित करे। इसके साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आपातकालीन सेवाओं और अलर्ट सिस्टम को भी दुरुस्त किया जाए। उधर, न्यायालय प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। परिसर की सभी लिफ्टों की समीक्षा करने की बात भी कही गई है।यह घटना एक बार फिर न्यायालयों की बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है। समय रहते कार्रवाई न की गई तो भविष्य में बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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