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घायलों का हाल-चाल जानते अधिकारी
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
साहिबाबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत जीडीए फ्लैट सोसाइटी संजय कॉलोनी, अर्थला में 26 अगस्त की देर रात बड़ा हादसा हो गया। यहां फ्लैट नंबर 326 की पहली मंजिल पर बने मकान की छत अचानक भरभराकर गिर गई। घटना के समय परिवार के सभी सदस्य सो रहे थे। हादसे में मकान मालिक सहित परिवार के पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में स्थानीय लोगों ने उन्हें एम्बुलेंस की मदद से एमएमजी अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।
पांच लोग घायल
घायलों में मकान मालिक जाहिद (55 वर्ष), उनकी पत्नी शहनाज (40 वर्ष), पुत्र जाबिर (22 वर्ष), पुत्री नजराना (20 वर्ष) और अलीमन (80 वर्ष, पत्नी शहीद) शामिल हैं। इनमें से अलीमन और नजराना की स्थिति को अधिक गंभीर बताया जा रहा है। डॉक्टरों की टीम घायलों के इलाज में जुटी हुई है।घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन भी सक्रिय हो गया। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार माँदड़ के निर्देश पर उप जिलाधिकारी (सदर) अरुण दीक्षित अस्पताल पहुंचे और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और चिकित्सकों को निर्देश दिया कि इलाज में किसी भी प्रकार की कमी न आने पाए। इस दौरान अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने घायलों की स्थिति की जानकारी एसडीएम को दी।
पीड़ितों को मिलेगी सहायता
एसडीएम अरुण दीक्षित ने परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन उनके साथ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि घायलों के इलाज का पूरा खर्च प्रशासन की निगरानी में किया जाएगा और यदि जरूरत हुई तो बेहतर इलाज के लिए अन्य अस्पताल में भी रेफर किया जाएगा।स्थानीय लोगों का कहना है कि फ्लैट काफी पुराना हो चुका था और उसकी मरम्मत लंबे समय से नहीं हुई थी। बारिश के मौसम में नमी और सीलन के कारण मकान की छत कमजोर हो गई थी, जिसके चलते यह हादसा हुआ। लोगों ने प्रशासन से मांग की कि ऐसी पुरानी और जर्जर इमारतों का तुरंत सर्वे कराया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
जर्जर भवन खतरनाक
इस हादसे ने एक बार फिर गाजियाबाद में जीडीए फ्लैट्स की स्थिति और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई सोसायटियों में जर्जर मकान और फ्लैट्स मौजूद हैं, जिन पर समय-समय पर स्थानीय लोग चिंता भी जताते रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इन इमारतों की मरम्मत या पुनर्निर्माण की व्यवस्था की जाए तो बड़े हादसों को टाला जा सकता है। यह घटना एक चेतावनी है कि शहर में जर्जर इमारतों की अनदेखी अब और नहीं की जा सकती। प्रशासन और जीडीए को जल्द ही ऐसे भवनों की पहचान कर उचित कदम उठाने होंगे, ताकि किसी परिवार को फिर इस तरह के हादसे का शिकार न होना पड़े।