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Achievment: IGRS पुलिस रेंकिंग में टॉप पर जिला गाजियाबाद, सबको पछाड़ा

अपराधों की वजह से फिल्मी पर्दे तक पहुंचने वाले जिला गाजियाबाद की पुलिस ने आईजीआरएस की रेंकिंग में पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। विजयनगर थाने को छोड़कर इस जिले के बाकी 24 थानों का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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बीजेपी के लोनी विधायक नंदकिशोर गूर्जर के निशाने पर रहने वाली गाजियाबाद पुलिस भले की कई मायनों में कार्यशैली की वजह से सवालों के घेरे में रहती हो। मगर आईजीआरएस की जारी रेंकिंग में जिले की पुलिस ने धमाल किया है। ताजा रेंकिंग में शिकायतों के निस्तारण के मामले में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट को पहला स्थान मिला है। जबकि जिले के 25 में से 24 थानों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 90 अंक प्राप्त किए है।

सिर्फ विजयनगर थाने ने बिगाड़ा प्रदर्शन

vijay nagar

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जारी रेंकिंग के मामले में सिर्फ गाजियाबाद के सिटी जोन के थाना विजयनगर ने जिला पुलिस के जनवरी महीने के जारी आंकड़ों में काला दाग लगाया है। पिछले दिसंबर महीने में टेबल टॉप रहा ये थाना इस बार अपने प्रदर्शन से सिर्फ अस्सी नंबर पाकर सूबे के थानों की रेंकिंग के मामले में 1590वें नंबर पर रहा है। जबकि बाकी सभी जिले के थाने 90 प्रतिशत अंकों के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं।

कम रेंकिंग वाले जिले के थाने

विजयनगर(1590)

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साहिबाबाद(1482)

अंकुर विहार (1448)

इंदिरापुरम(1394)

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रेस्पॉन्स टाइम में बेहतर प्रदर्शन

ghaziabad police

डायल 112 पर की जाने वाली कॉल पर जनवरी महीने में यूपी पुलिस का रेस्पांस टाइम 6.3 मिनट रहा है। जबकि गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में भी शानदार प्रदर्शन किया है। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट का रेस्पांस टाइम जनवरी महीने में 3.3 मिनट दर्ज किया गया है। इसमें अर्बन यानि शहरी इलाके की पुलिस का रेस्पांस टाइम जहां 3.3 मिनट रहा है, वहीं इस मामले में रूरल एरिया यानि देहात की पुलिस कुछ लेटलतीफ मिली है। देहात पुलिस का रेस्पांस टाइम 3.4 मिनट बताया गया है।

भले ही टॉप पर, मगर अभी भी बहुत दरकार

AJAY

आईजीआरएस की रेंकिंग के मामले में जिले की कमिश्नरेट पुलिस ने भले ही झंड़े गाड़ दिए हैं। मगर अभी भी कानून व्यवस्था के मामले में बहुत सारे सुधारों की जरूरत है।

नहीं दर्ज होती आसानी से Fir

अफसरों के आदेश पर मुकदमों के दर्ज किए जाने मामले ज्यादा सामने आते हैं। जबकि अधिकारियों के कार्यालय पर गुहार लगाते लोगों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। जाहिर है कि थाना और चौकी स्तर पर लोगों की फरियाद को नहीं सुना जा रहा है। उच्चाधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की जररूत है।

पॉश इलाकों में बाइकर गैंग पर नहीं है लगाम

हाईराइड बिल्डिंग एरिया में बाइकर गैंग के मोबाइल और जेवरात झपटमारी की घटनाओं पर प्रभावी तरीके से लगाम लगाने का काम पुलिस नहीं कर रही है। हालाकि दो दिन पहले इस तरह के एक गैंग के तीन सदस्यों को पुलिस ने दबोचा है। मगर, इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

माफियाओं और रसूखदारों पर सख्ती कम

हालाकि अफसरों के हस्तक्षेप पर गरीब और कमजोर वर्ग को न्याय मिल रहा है। मगर, थाना और चौकी स्तर पर पुलिस से साठगांठ रखने वाले दबंग और रसूखदारों की गुंडई से कमोवेश पूरे जिले में लोग परेशान हैं। लोकल स्तर पर पुलिसकर्मियों के संपर्क में रहने वाले लोग न सिर्फ छोटे-बड़े अपराध करते हैं, बल्कि अपराधों में लिप्त लोगों की पैरवी करके उन्हें संरक्षण भी देते हैं। इस पर लगाम लगाने की जरूरत है।

मादक पदार्थ तस्करों को संरक्षण खत्म हो

जिले के लगभग हर थाना और चौकी क्षेत्र में अवैध शराब, चरस गांजा की बिक्री लोकल पुलिसकर्मियों के संरक्षण में जारी है। इस पर किसी भी तरह का अभियान चलाकर सख्त एक्शन नहीं लिया जाता। जिस तरह से पूरे जिले में खुले में शराब पीने वालों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी है। जरूरत है कि समय-समय पर ऐसे नशा तस्करों पर भी शिकंजा कसा जाए, ताकि इसमें लिप्त लोगों और इन्हें संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों पर शिकंजा कसे।  

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