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काल्पनिक चित्र
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिले के स्वास्थ्य विभाग ने अवैध रूप से संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सीएमओ के निर्देश पर की गई जांच में दो केंद्रों को तत्काल बंद कर दिया गया है और उनके संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। कार्रवाई के दौरान ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिनसे इन केंद्रों की वास्तविक स्थिति उजागर हुई।
अमानवीय हालात
जांच में पाया गया कि मरीजों को अंधेरे और बदबूदार कमरों में रखा गया था। उनके लिए उचित बिस्तर तक की व्यवस्था नहीं थी। केंद्रों पर न तो पंजीकृत डॉक्टर मौजूद था और न ही प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ, जो कि नशे से जूझ रहे मरीजों के लिए बेहद आवश्यक है। ऐसे हालातों में मरीजों को इलाज की बजाय और अधिक मानसिक व शारीरिक यातनाएं झेलनी पड़ रही थीं।
बिना अनुमति संचालन
अधिकांश केंद्र बिना किसी वैध लाइसेंस और पंजीकरण के चल रहे थे। यही कारण है कि वहां न तो सरकारी मानकों का पालन हो रहा था और न ही मरीजों के अभिलेख सही ढंग से रखे गए थे। जांच में पाया गया कि मरीजों के नशे से संबंधित परीक्षण और इलाज का कोई रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं था।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने साफ कहा है कि अब सभी नशा मुक्ति केंद्रों को मरीजों के संपूर्ण और सही अभिलेख भरना अनिवार्य होगा। हर मरीज के नशे के प्रकार और उपचार की जानकारी दर्ज करनी होगी। विभाग ने चेतावनी दी है कि जो भी केंद्र इन मानकों को पूरा नहीं करेंगे, उन्हें तुरंत बंद कर दिया जाएगा।
मरीजों के अधिकार
नशे के शिकार लोगों को इलाज के नाम पर अमानवीय परिस्थितियों में रखना गंभीर अपराध है। स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को किसी अवैध नशा मुक्ति केंद्र की जानकारी मिले तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।
राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर
नशे की लत से जूझ रहे व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14446 उपलब्ध है। इस पर कॉल कर आवश्यक परामर्श और सहायता प्राप्त की जा सकती है।गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग की यह कार्रवाई शहर में अवैध नशा मुक्ति केंद्रों पर शिकंजा कसने की दिशा में बड़ा कदम है। अब उम्मीद है कि प्रशासन की इस सख्ती से न केवल ऐसे केंद्र बंद होंगे बल्कि नशे के शिकार लोगों को मानवीय और वैज्ञानिक पद्धति से उपचार भी उपलब्ध कराया जा सकेगा।