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Adalat: गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने कर दी अधिवक्ता की सदस्यता समाप्त

गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने एक अधिवक्ता की सदस्यता समाप्त कर दिए इस संबंध में कार्यकारिणी की बैठक आपात रूप से आयोजित की गई जिसमें अध्यक्ष दीपक शर्मा ने प्रस्ताव दिया जिसको कार्यकारिणी ने सर्व सम्मति से पास कर दिया।

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Syed Ali Mehndi
बार एसोसिएशन

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने एक अधिवक्ता की सदस्यता समाप्त कर दिए इस संबंध में कार्यकारिणी की बैठक आपात रूप से आयोजित की गई जिसमें अध्यक्ष दीपक शर्मा ने प्रस्ताव दिया जिसको कार्यकारिणी ने सर्व सम्मति से पास कर दिया।

इस संबंध में बार एसोसिएशन गाजियाबाद के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि एडवोकेट रोहित गोला चेंबर नंबर 1031 सिविल कोर्ट राजनगर गाजियाबाद को बार एसोसिएशन गाजियाबाद द्वारा एक पत्र 24 मार्च को प्रेषित किया गया था जिसमें रोहित गोला एडवोकेट से बार एसोसिएशन गाजियाबाद के प्रति पूर्व में अमर्यादित टिप्पणी सोशल मीडिया पर करने के संबंध में स्पष्टीकरण 3 दिन में मांगा गया था जिसका कोई स्पष्ट जवाब उनके द्वारा नहीं दिया गया तथा बार एसोसिएशन गाजियाबाद के द्वारा जारी उपरोक्त पत्र को फर्जी पत्र जारी किए जाने का कथन किया गया। ऐसे बार एसोसिएशन गाजियाबाद की छवि को काफी नुकसान हुआ तथा बार एसोसिएशन गाजियाबाद की छवि धूमिल हुई है। बार एसोसिएशन गाजियाबाद के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि रोहित गोला एडवोकेट की बार एसोसिएशन गाजियाबाद की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाए।

किशोरी से छेड़छाड का आरोपी बरी 

किशोरी से छेड़छाड के आरोपी एक युवक को अदालत ने आरोपों से बरी कर दिया। मामला इंदिरापुरम थाना क्षेत्र का है। अभियोजन पक्ष आरोपी पर आरोप सिद्ध नहीं कर सका। इसका लाभ अदालत ने आरोपी को दिया।

इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने 11 वर्ष पूर्व विजय नगर थाने में छह अगस्त 2014 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी को ऑटो चालक देवेंद्र छेड़ता है। भीड़ उसे दबोच कर थाने ले आई है। आरोप लगाया कि वह एक साल से उनकी लड़की का पीछा कर रहा था। घटना से दो दिन पहले धमकी भरा एक पत्र भी बॉलकनी में फेंका था। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने उसे आरोपी देवेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अदालत में गवाही देते समय पिता अपने बयान पर अडिग रहे, लेकिन पुत्री ने आरोपी को पहचानने से इंकार कर दिया था। वहीं बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि अभियोजन पक्ष में किशोरी के पिता के अलावा अन्य कोई गवाह पेश नहीं किया था। पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश लाल बाबू यादव ने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा है। इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए आरोपों से मुक्त किया जाता है।

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