Administrative Negligence: योगीजी ! देख लीजिए यूपी की NCR सिटी का हाल, पीने के पानी को भी लाईन में खड़े होने की दरकार?
योगी राज में नित नये प्रयास लोगों को राहत देने के किए जा रहे हैं। मगर प्रशासनिक लापरवाही और कुछ जन प्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते हालात ये हैं कि एनसीआर की स्मार्ट सिटी में भी लोगों को पीने के पानी के लिए हेंडपंप पर लाईन लगानी पड़ रही है।
ये तस्वीर पुरानी नहीं बल्कि आज की है, जो ये बताने को काफी है कि दिल्ली से सटी स्मार्ट सिटी में भी लोगों को नल से जल नहीं मिल रहा। लोगों को हेंडपंप से पानी भरने के लिए भी कतार लगानी पड़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी मूलभूत जरूरतों यानि बुनायादी सुविधाओं के साथ-साथ लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। मगर, सरकारी मशीनरी है कि लापरवाही में तमाम प्रयासों को पलीता लगा देती है। अब इस खबर की मुख्य तस्वीर को ही देख लीजिए ये तस्वीर दिल्ली से सटी यूपी का मुख्यद्वार कही जाने वाली स्मार्ट सिटी गाजियाबाद के सिटी एरिया की है। जिस इलाके की तस्वीर है, वहां के पार्षद भाजपा के, विधायक बीजेपी के और सांसद भी बीजेपी के। मगर, देख लीजिए कि लोगों को पानी के लिए भी कतार लगाकर कालोनी के हेंडपंप पर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। जिस कालोनी में ये स्थिति है अभी चंद रोज पहले ही जिले के सांसद और स्थानीय विधायक ने इस कालोनी के लिए लाखों रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास किया है। मगर, स्थानीय पार्षद और सरकारी मशीनरी की अनदेखी ने ये हालात बना रखे हैं।
ये है समस्या
ग्राउंड फ्लोर के फ्लेट से पानी भरती एक बच्ची और पानी भरकर चार मंजिला बिल्डिंग में चढ़ती बच्ची और उसका पिता।
Advertisment
साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस कॉलोनी का खुद उद्घाटन किया था। उस वक्त यहां शानदार पार्कों के साथ-साथ पानी की व्यवस्था के लिए एक बड़ी टंंकी लगवाई गई थी। कालोनी के 15 सौ परिवारों को पानी के लिए इस टंकी में एक बड़ी और एक छोटी मोटर लगवाई गई थी। इसके साथ ही कालोनी में जगह-जगह हेंडपंप भी लगवाए गए थे, ताकि आपात स्थिति में हेंड पंप से पानी लिया जा सके।
Advertisment
करीब डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त बीतने के बाद सरकारों और अफसरशाही की अनदेखी का नतीजा है कि इस कालोनी में लगे अधिकांश हेंडपंप खराब पड़े हैं। पानी के लिए इक्का-दुक्का चल रहे हेंडपंप और 2008 में बनी पानी की टंकी पर ही 15 सौ परिवार निर्भर है। टंकी से पानी की सप्लाई का आलम ये है कि यहां लगी बड़ी मोटर अरसे से खराब पड़ी है। केवल बड़ी मोटर के सहारे पानी की सप्लाई हो रही है। इसकी वजह से करोड़ों खर्च करके बनाई गई पानी की टंकी भी नहीं भरती और पहली से तीसरी मंजिल पर रह रहे परिवारों के घरों की टोंटी तक भी पानी नहीं पहुंच रहा। पानी का प्रेशर बेहद कम होने की वजह से जितनी भी देर के लिए पानी की सुबह-शाम आपूर्ति होती है उससे ऊपर रह रहे परिवार वंचित रह जाते हैं। नतीजा ये है कि उन परिवारों को ढोकर पानी भरना पड़ रहा है। वो भी हेंडपंप या नीचे रहने वाले पड़ोसियों के रहम-ओ-करम पर प्यास बुझाने को मजबूर हैं।
स्थानीय पार्षद पर गंभीर आरोप
इलाके के लोगों की मानें तो उनका कहना है कि इस बारे में इलाके के संबंधित निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को कई बार बताया गया है। उनसे गुहार भी लगाई गई। मगर, उन्होंने ये कहकर कोई मदद करने से इंकार कर दिया कि बड़ी मोटर फुंक गई है। छोटी से काम चल रहा है। लिहाजा पानी का प्रेशर तब तक नहीं बढ़ सकता जब तक कि बड़ी मोटर ठीक न हो या नई न आए। लोगों का आरोप है कि इलाके की बीजेपी पार्षद सीमा यादव के पति और पूर्व पार्षद संतराम यादव से कई बार मुलाकात की और समस्या से निजात दिलाने को कहा। मगर, हर बार उन्होंने ये कहकर कोई मदद नहीं कि कांशीराम कालोनी के लोग उन्हें वोट ही नहीं देते तो मैं उनकी मदद क्यों करूं?
Advertisment
चंद रोज पहले विधायक ने किया लाखों के विकास कार्यों का श्रीगणेश
इलाके के लोगों से पूछा गया कि चंद रोज पहले आपके इलाके में स्थानीय बीजेपी के विधायक के कोटे से इंटरलाकिंग के काम का श्रीगणेश हुआ था। उस वक्त क्या उन्होंने इस समस्या को लेकर उनसे या उनके साथ आए स्थानीय सांसद से इस बाबत बात की। तो उनका कहना था कि उन्हें विधायक या सांसद के पास जाकर अपनी समस्या बताने का मौका ही नहीं मिला। लोगों का कहना है कि जल्द ही वे सांसद-विधायक से मिलकर मामले की शिकायत करेंगे।
चौराहों-तिराहों पर नोटंकी, 15 सौ परिवारों की फिक्र नहीं
करीब 17 साल पहले गाजियाबाद में सर्व समाज के 1500 गरीबों को कांशीराम योजना के तहत तत्कालीन माया सरकार में मुफ्त मकान दिए गए थे। इनमें रहने वाले लोग आज स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन की अनदेखी का शिकार हैं। हालात ये हैं कि इस कालोनी में महज एक मोटर फुंक जाने से पिछले दो महीने से पानी को लेकर कोहराम मचा है। मगर, न जनप्रतिधि का ध्यान है। न अफसरशाही का।चार मंजिला फ्लेट वाली इस सोसायटी में लोग पानी ढोने को मजबूर हैं।ये हालात तब हैं जबकि रिकॉर्ड गर्मी में नगर निगम का जलकल विभाग चौराहों-तिराहों पर राहगीरों के लिए मटके वाले प्याऊ लगाने का तमाशा करने में तो व्यस्त है, मगर 15 सौ परिवारों की समस्या उसे नहीं दिखाई दे रही।
पार्षद पति बोले-आरोप निराधार
इस मामले में स्थानीय लोगों के आरोपों को लेकर पूर्व पार्षद और पार्षद पति संतराम यादव का कहना है कि उन पर लगे आरोप निराधार हैं। उन्हें इस समस्या से आज किसी ने अवगत ही नहीं कराया। उनका कहना है कि मामला यंग भारत न्यूज के जरिये संज्ञान में आया है। वे अधिकारियों से बात कर जल्द समस्या का समाधान कराएंगे।
Advertisment
Subscribe to our Newsletter!
Be the first to get exclusive offers and the latest news