गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। त्रिशताब्दी स्मृति वर्ष 2025 के अंतर्गत भारतीय जनता पार्टी, गाजियाबाद महानगर द्वारा पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होलकर की स्मृति में एक भव्य प्रबुद्ध संगोष्ठी का आयोजन शास्त्री नगर स्थित रूद्राक्ष बैंक्विट हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्ध नागरिकों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
"महारानी अहिल्याबाई का शासन आज भी प्रासंगिक" – डॉ. महेंद्र कुमार सिंह
मुख्य वक्ता मध्यप्रदेश प्रभारी डॉ. महेंद्र कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महारानी अहिल्याबाई होलकर भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और सुशासन की जीवंत प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई ने शासन को सेवा का माध्यम बनाते हुए धार्मिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चारधाम कॉरिडोर निर्माण को अहिल्याबाई की परंपरा का पुनर्प्रतिष्ठान बताया।
स्थानीय नेतृत्व ने रखा विचार
महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल ने कहा कि भाजपा गाजियाबाद महानगर अहिल्याबाई के लोककल्याणकारी दृष्टिकोण को संगठन और जनसेवा के केंद्र में रखकर कार्य कर रही है। कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने कहा कि गाजियाबाद में शहरी विकास के लिए स्वच्छता, जनभागीदारी और नैतिक प्रशासन के सिद्धांतों को अपनाया गया है, जो अहिल्याबाई की शासन शैली से प्रेरित हैं।
पूर्व महापौर आशा शर्मा ने सामाजिक समरसता और युवाओं के सशक्तिकरण को अहिल्याबाई के विचारों की आधुनिक व्याख्या बताया।
विशिष्ट जनों की सहभागिता
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, पूर्व विधायक कृष्णवीर सिरोही, पूर्व एमएलसी सुरेश कश्यप, पूर्व महापौर आशा शर्मा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। मंच पर पाल समाज, आरडब्ल्यूए, व्यापारी वर्ग, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और अधिवक्ता समुदाय के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम संचालन व सहभागिता
कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक सुरेंद्र नागर, सह-संयोजक नवनीत मित्तल व ललित कश्यप ने किया। मीडिया प्रभारी प्रदीप चौधरी ने समस्त प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी निभाई। भाजपा मंडल अध्यक्षों, शक्ति केंद्र संयोजकों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने आयोजन को गौरवमयी बना दिया।
संगोष्ठी में वक्ताओं ने विचार किया कि किस प्रकार महारानी अहिल्याबाई होलकर के आदर्शों को समकालीन शासन-प्रशासन में समाहित किया जा सकता है। यह कार्यक्रम भारतीय परंपरा और आधुनिक प्रशासनिक मूल्यों के संगम का प्रतीक बनकर उभरा।