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सड़क पर टेक्निकली जांच के बगैर वाहनों का फर्राटें भरना और बगैर टेस्ट दिए ड्राइविंग लाइसेंस लेने वालों का गाड़ी चलाना कितना खतरनाक है, ये बताने की जरूरत नहीं। सब जानते हैं कि वाहनों की सेहत खराब होने से लोगों की जान खतरे में रहती है और अनाड़ी ड्राइवर की वजह से भी अक्सर हादसे होते हैं। मगर, देखिये यूपी के संभागीय परिवहन विभाग का हाल कि कहीं तो एक की बजाय दो-दो टेक्निकल अफसरों की तैनाती है। और कुछ जिलों में एक भी नहीं। हापुड़ और शामली पश्चिमी यूपी के दो ऐसे ही जिले हैं जहां संभागीय परिवहन विभाग में एक भी टेक्निकल अफसर यानि (आरआई) प्नतिसार निरीक्षक की नियुक्ति नहीं है। लिहाजा टेक्निकल मुआएना हो या फिर ड्राइविंग लाइसेंस जारी कराते वक्त होने वाली ड्राइविंग ट्रेनिंग रिपोर्ट नॉन टेक्निकल अफसर धड़ाधड़ जारी कर रहे हैं।
जिले में 3 RI का नियम, कई जगह 1 भी नहीं
संभागीय परिवहन विभाग के अफसरों की ही मानें तो नियम है कि हर जिले में तीन टेक्निकल अफसरों यानि (आरआई) प्रतिसार निरीक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि वाहनों का टेक्निकल मुआयना करके ये सुनिश्चित किया जा सके कि वाहन किसी भी सूरत-ए-हाल ऐसी स्थिति में तो नहीं कि कोई हादसा हो जाए या किसी हादसे को न्योता दे दें। लेकिन तीन टेक्निकल अफसर छोड़िए कुछ जिले तो वेस्टर्न यूपी में ऐसे हैं जहां एक भी टेक्निकल अफसर नियुक्त नहीं कर रखा। मगर नॉनटेक्निकल अफसर ही टेक्निकल रिपोर्ट धड़ाधड़ जारी करने में लगे हैं।
मेरठ जोन का ये है हाल
संभागीय परिवहन विभाग के हिसाब से मेरठ जॉन में नौ जिले आते हैं। इनमें गजियाबाद के अलावा हापुड़ नोएडा(गौतमबुद्धनगर), बुलन्दशहर, मेरठ, शामली, बागपत, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर हैं। इन जिलों की बात करें तो यहां के हापुड़ और शामली जिले में एक भी टेक्निकल अफसर (आरआई) यानि प्रतिसार निरीक्षक की तैनाती नहीं है। नियम तीन का है। मगर, इन जिलों में एक भी नहीं। इसके इतर अन्य जनपदों की बात करें तो गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा (गौतमबुद्धनगर), मेरठ ओर सहारनपुर में 2-2 आरआई की तैनाती है।
बागपत-मुजफ्फनगर में एक-एक अटैच
इसी महीने टी सी बी एन सिंह ने बागपत और मुजफ्फरनगर में एक-एक आरआई को अटैच किया है। लेकिन शामली और हापुड़ जिले अरसे से बगैर टेक्निकल अफसर के ही नॉन टेक्निकल अफसरों के द्वारा जारी टेक्निकल सर्टिफिकेट के सहारे चल रहे हैं।
इस वक्त ये है हाल, कौन जिम्मेदार
मेरठ जॉन में आने वाले गाजियाबाद सहित अन्य नौ जनपदों में सड़क सुरक्षा को लेकर आए दिन कार्यक्रम होते रहते हैं। लेकिन सड़क सुरक्षा में सेंध लगी है। बगैर आरआई के अरसे से नॉन टेक्निकल अधिकारी ए आर टी ओ द्वारा सबसे अहम फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेस जारी किए जा रहे है। खासकर वहां, जहां पर आरआई तैनात ही नहीं है। वहां फिटनेस हुए वाहनों की गुणवत्ता बेहद ही खराब स्थिति में है। ऐसे जनपद में कागजों में तो फिट लेकिन भौतिक रूप से अनफिट वाहन मौत की तरह सड़कों पर दौड़ रहे है। आए दिन दुर्घटना हो रही है जो सड़क सुरक्षा को चुनौती दे रही हैं। सरकार ओर ट्रांसपोट विभाग आए दिन नए नए प्रचार ओर प्रसार करता है। लेकिन इस ओर न तो सरकार का ध्यान है ।न ही ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का।
सवाल-टेक्निकल अफसर नहीं तो कैसे हो रहा काम
जब इन ऑफिस में टेक्निकल व्यक्ति यानी कि आर आई ही है ही नहीं, तो सवाल बनता है कि किस आधार पर और कैसे वहां की गाड़ियों की फिटनेस जांच हो रही है और ड्राइविंग लाइसेंस कौन दे रहा है।
बाबू करते हैं खानापूर्ति,एआरटीओ लगा देते हैं ठप्पा
सूत्र बताते है कि इन चारों जिलों में या तो बाबू या कोई बाहरी व्यक्ति फिटनेस की फॉर्मेलिटी पूरी करके ए आर टी ओ को बता देता है। ओर जैसा सब जानते है कि बिना फिटनेस हुई गाड़ी हरी पत्ती के बूते ओके हो जाती हैं।
लाइसेंस का भी यही है हाल
ऐसी ही लाइसेंस का हाल है। लाइसेस जारी करने से पहले लाइसेंस बनवाने वाले का टेस्ट लिया जाता है कि उसे गाड़ी चलानी आती है या नहीं। वो टेस्ट आर आई लेता है। उसके बाद ही लाइसेस जारी करता है। मगर, सोचने वाली बात है कि जिन जिलों में रोज कई सौ लाइसेंस जारी होते होंगे, जब वहां आरआई की नियुक्ति ही नहीं है, तो इनके टेस्ट कौन लेता होगा और कौन इन्हें पास ओर फैल करता होगा ?
कोई बड़ा अफसर बोलने को नहीं तैयार
इस मामले में कोई भी जिम्मेदार अफसर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। हालाकि इतना जरूर कह रहे हैं कि जिन जनपदों में ज्यादा वर्कलोड है वहां एक से अधिक (आरआई) टेक्निकल अफसर यानि कि प्रतिसार निरीक्षकों को लगाया गया है। लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं कि जहां एक भी टेक्निकल ऑफिसर नहीं वहां कैसे वाहनों की फिटनेस जांच और ड्राइविंग लाइसेंस के दौरान होने वाले ड्राइविंग टेस्ट की रिपोर्ट कैसे लगाई जा रही हैं।