/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/13/qukwHAp7SwnTMoxeR1rh.jpg)
नगर निगम और एनजीटी
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में जहां एक ओर जल संरक्षण और गिरते भूजल स्तर को लेकर शासन और प्रशासन चिंतित है, वहीं दूसरी ओर सड़कों के किनारे इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने का कार्य सवालों के घेरे में आ गया है। वार्ड-9 अंतर्गत छबीलदास स्कूल के आसपास इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने के काम को पर्यावरण विशेषज्ञों ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) के आदेशों की खुली अवहेलना बताया है।
इंटरलॉकिंग टाइल्स का विवाद
पर्यावरणविद आकाश वशिष्ठ ने इस पर चिंता जताते हुए जिलाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि एनजीटी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सड़क की पटरी को कच्चा रखा जाए ताकि वर्षा का जल भू-गर्भ में समा सके और जल स्तर संतुलित बना रहे। यही नहीं, शासन के संयुक्त सचिव राधे कृष्ण द्वारा जारी आदेश में भी इसी बात की पुष्टि की गई है। बावजूद इसके नगर निगम अधिकारियों द्वारा ऐसे कार्य किए जा रहे हैं जो न केवल कानून की अनदेखी हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी घातक सिद्ध हो सकते हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग समस्या
विशेषज्ञों का मानना है कि टाइल्स लगाने से वर्षा का पानी सीधे नालियों में बह जाता है और जमीन के नीचे रिसने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इससे न केवल जल स्तर गिरता है बल्कि शहरी बाढ़ का खतरा भी बढ़ता है। विडंबना यह है कि शासनादेशों का पालन सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है।
गहराया विवाद
इस विवाद ने प्रशासनिक स्तर पर बहस को जन्म दे दिया है। अब देखना यह होगा कि पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच प्रशासन कौन सी दिशा चुनता है। यदि भूजल स्तर को लेकर चिंताएं वाजिब हैं तो फिर ऐसे निर्माण कार्यों की अनुमति किस आधार पर दी जा रही है? यह एक अहम सवाल बन गया है।